जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले और उससे जुड़ी घटनाएं भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक नई और गंभीर चुनौती के रूप में सामने आई हैं। इन घटनाओं से जो ट्रेंड सामने आया है, वह “फेक यूनिफॉर्म टैक्टिक” है — यानी आतंकवादी भारतीय सुरक्षा बलों की तरह की वर्दी पहनकर हमले कर रहे हैं। इस रणनीति के कई खतरनाक पहलू हैं, जिनके कारण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक हलचल मच गई है।
क्या हुआ पहलगाम में?
- तारीख: 22 अप्रैल 2025
- स्थान: बैसरन घाटी, पहलगाम (जम्मू-कश्मीर)
- हमलावर: आतंकी संगठन The Resistance Front (TRF)
- रणनीति: आतंकियों ने भारतीय सेना जैसी वर्दी पहन रखी थी।
- परिणाम:
- अंधाधुंध फायरिंग में 26 पर्यटकों की मौत, जिसमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था।
- इसे 26/11 मुंबई हमलों के बाद सबसे घातक आतंकी हमला माना जा रहा है।
भारत की जवाबी कार्रवाई – ऑपरेशन सिंदूर
- भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए।
- यह बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019) के बाद सबसे आक्रामक सैन्य प्रतिक्रिया मानी जा रही है।
- इस ऑपरेशन का नाम रखा गया – “ऑपरेशन सिंदूर”।
त्राल एनकाउंटर में भी वही पैटर्न
- स्थान: त्राल (दक्षिण कश्मीर)
- मारे गए आतंकी:
- आसिफ अहमद शेख
- आमिर नजीर वानी
- यवार अहमद भट
- इनके पास से मिले: भारतीय सेना जैसी जैकेट, बैग, उपकरण, जो अब फोरेंसिक जांच में हैं।
10 मई को भी मिली घुसपैठ की कोशिश के संकेत
- नगोटरा मिलिट्री स्टेशन, जम्मू में तैनात संतरी ने एक वर्दीधारी संदिग्ध को देखा।
- संदिग्ध ने घुसपैठ की कोशिश की, लेकिन फायरिंग में वह भाग गया।
- संतरी घायल हुआ, लेकिन एक बड़ी साजिश टल गई।
क्यों यह एक गंभीर सुरक्षा चुनौती है?
- पहचान में मुश्किल: आम नागरिक और यहां तक कि सुरक्षाकर्मी भी असल और नकली सैनिक में फर्क नहीं कर पाते।
- फ्रेंड-फो ट्रैकिंग में दिक्कत: त्वरित ऑपरेशनों के दौरान गलतफहमी में गोली चलने का खतरा।
- सार्वजनिक भरोसे में गिरावट: जनता के मन में वर्दीधारी सुरक्षा बलों के प्रति अविश्वास पैदा करने की कोशिश।
- टूरिस्ट स्पॉट्स पर खतरा: पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों की सुरक्षा को नया खतरा।
दिल्ली तक हलचल – क्या कर रही हैं एजेंसियां?
- उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई जिसमें वरिष्ठ अधिकारी, गृहमंत्रालय और खुफिया एजेंसियां शामिल थीं।
- SOP (Standard Operating Procedures) की समीक्षा शुरू हो गई है, खासकर:
- टूरिस्ट इलाकों में
- चेकपोस्ट्स पर
- हाई रिस्क ज़ोन में
आगे क्या हो सकता है?
- सुरक्षा बलों को विशेष पहचान चिह्न दिए जा सकते हैं (जैसे RFID टैग, यूनिक आर्म पैच आदि)।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित पहचान प्रणाली (जैसे फेस रिकग्निशन) लागू हो सकती है।
- लोकल पब्लिक को अवेयर किया जाएगा कि वर्दी ही सुरक्षा का प्रमाण नहीं है।
यह ट्रेंड दर्शाता है कि आतंकवादी अब साइकोलॉजिकल वॉरफेयर और डिसगाइस आधारित हमलों की ओर बढ़ रहे हैं। भारत को इस चुनौती से निपटने के लिए न केवल तकनीकी संसाधन, बल्कि जनसहयोग और स्मार्ट इंटेलिजेंस नेटवर्किंग की आवश्यकता है।