यह मामला भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनयिक प्रक्रियाओं की शुचिता, और साइबर/सोशल इंजीनियरिंग के माध्यम से जासूसी नेटवर्क फैलाने के खतरे को उजागर करता है। इसमें पाकिस्तान हाई कमीशन में नियुक्त दानिश नामक अधिकारी, भारतीय यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा, गज़ाला, यामीन मोहम्मद और देवेंद्र सिंह ढिल्लो की भूमिका सामने आई है।
मुख्य आरोप और खुलासे:
दानिश – पाकिस्तान हाई कमीशन का वीज़ा अधिकारी:
- 5,000 रुपये प्रति वीजा रिश्वत लेकर वीजा पास करता था।
- ज्योति मल्होत्रा को ISI एजेंट अली हसन से मिलवाया।
- यामीन मोहम्मद के जरिए रिश्वत की रकम वसूली और भेजी जाती थी।
- व्हाट्सएप, स्नैपचैट जैसे माध्यमों से ज्योति, गजाला और यामीन से संपर्क में था।
- दिल्ली में भारत के प्रसिद्ध स्थानों पर घूमने और शॉपिंग के दौरान गज़ाला से यूपीआई पेमेंट कराता था।
ज्योति मल्होत्रा – यूट्यूबर:
- दानिश के संपर्क में आकर पाकिस्तान के ISI एजेंट्स तक पहुंची।
- पाकिस्तान यात्रा के दौरान अली हसन नाम के व्यक्ति ने उसकी मदद की।
- हॉस्पिटैलिटी के बदले जानकारी देने की कोशिश की गई, जैसे सेना से जुड़ी जानकारी जुटाने की बात।
- 20000 रुपये यूपीआई के जरिए मिले, दानिश के कहने पर।
गज़ाला – दिल्ली की महिला:
- पति की मौत के बाद पाकिस्तान जाना चाहती थी।
- दानिश ने उससे व्यक्तिगत संबंध बनाने की कोशिश की और पैसे भी भेजे।
- सेना से जुड़ी जानकारी साझा करने की मांग की गई।
- गज़ाला के बयान ने पूरे नेटवर्क का खुलासा किया।
यामीन मोहम्मद:
- दानिश का सहयोगी, लोगों से वीज़ा के लिए 5,000 रुपये लेता था।
- पैसे गजाला को ट्रांसफर करता था।
- खुद भी दो बार पाकिस्तान गया और दानिश से गहरा संपर्क रहा।
देवेंद्र सिंह ढिल्लो:
- करतारपुर साहिब यात्रा पर गया था।
- लाहौर में ISI के कथित एजेंट ‘विक्की’ और अर्सलान से मिला।
- एक महिला के जरिए संपर्क बढ़ाया गया।
- विक्की ने भारतीय फोन नंबर पर 1500 रुपये का ट्रांजैक्शन करवाया और भारतीय सिम कार्ड की मांग की।
सुरक्षा एजेंसियों की जांच का फोकस:
- दानिश को कौन-कौन भारतीय नागरिक जानता था और कौन-कौन उसके जाल में फंसा?
- यामीन और देवेंद्र सिंह जैसे संपर्क सूत्रों की पूरी सूची।
- जिस QR कोड पर पैसे भेजे गए, वह नंबर किसका था?
- क्या यह पूरा नेटवर्क ISI का प्रायोजित जासूसी रैकेट है?
बड़े खतरे:
- राजनयिक परिसर का दुरुपयोग – हाई कमीशन के अंदर ही जासूसी गतिविधियां।
- सोशल इंजीनियरिंग – महिला यूट्यूबर, विधवा महिला और धार्मिक श्रद्धालुओं को निशाना बनाया गया।
- डिजिटल मनी ट्रांसफर – UPI, QR Code, WhatsApp, Snapchat का दुरुपयोग।
- फ्रेंडली ट्रैपिंग – भावनात्मक और आर्थिक मदद का लालच देकर भारत से संवेदनशील जानकारी जुटाने की कोशिश।
निष्कर्ष:
यह मामला दर्शाता है कि कैसे राजनयिक पहुंच, सोशल मीडिया और डिजिटल भुगतान प्रणाली का दुरुपयोग कर ISI जैसे संगठन भारतीय नागरिकों को जासूसी और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए तैयार कर रहे हैं। इसके माध्यम से भारत की सुरक्षा प्रणाली को कमजोर करने की साजिश रची जा रही है। यह बेहद गंभीर मामला है और इससे भारत की सुरक्षा एजेंसियों को भविष्य के लिए कई महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं।