मामले के तीन मुख्य संवैधानिक मुद्दे:
- वक्फ घोषित संपत्तियों को “गैर-अधिसूचित” करने का अधिकार
- क्या अदालत द्वारा “वक्फ”, “वक्फ बाय यूजर”, या “वक्फ बाय डीड” घोषित संपत्तियों को वक्फ की श्रेणी से बाहर किया जा सकता है?
- वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति
- क्या वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों का बहुमत हो सकता है?
- क्या यह धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों का उल्लंघन है?
- सरकारी जमीन और वक्फ विवाद
- संशोधन के तहत यह प्रावधान कि यदि कलेक्टर जांच में पाता है कि जमीन सरकारी है, तो वह वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी—इसका क्या असर पड़ेगा?
अदालत में हुई प्रमुख बहसें:
CJI के सवाल और कपिल सिब्बल की दलीलें:
- CJI ने पूछा: “बोर्ड में गैर-मुस्लिम बहुमत कैसे होगा?”
➤ सिब्बल ने जवाब दिया कि पहले केवल मुस्लिम सदस्य होते थे, लेकिन अब 7 मुस्लिम और 12 गैर-मुस्लिम हो सकते हैं।
➤ उन्होंने यह भी कहा कि यह धार्मिक प्रशासन में हस्तक्षेप है और अन्य धर्मों की संस्थाओं में ऐसा नहीं होता। - CJI: “कैसे कह सकते हैं कि मंत्री गैर-मुस्लिम ही होगा?”
➤ सिब्बल: “क्योंकि यह अब अनिवार्य नहीं कि सदस्य मुस्लिम हो।” - सिब्बल ने तुलना करते हुए कहा:
“हिंदू या सिख धर्मस्थानों की संस्थाओं में गैर-धार्मिक लोगों को नियुक्त नहीं किया जाता, फिर वक्फ में क्यों?”
राजीव धवन और सिंघवी की दलीलें:
- राजीव धवन:
➤ ट्रस्ट और वक्फ की प्रकृति अलग है।
➤ यह संशोधन धर्म को पुनः परिभाषित करने की कोशिश करता है।
➤ सिख याचिकाकर्ता का हवाला: “मैं वक्फ को दान देना चाहता हूं लेकिन संपत्ति छीनी न जाए।” - अभिषेक मनु सिंघवी:
➤ यह कानून मुसलमानों को डराने और उत्पीड़ित करने का साधन बन गया है।
➤ वक्फ पोर्टल की प्रक्रिया को “संपत्तियों में वृद्धि” बताना भ्रामक है।
➤ JPC रिपोर्ट में सिर्फ 5 राज्यों और 9.3% क्षेत्र का सर्वे किया गया।
प्रासंगिक पृष्ठभूमि:
- वक्फ अधिनियम 1995 के तहत भारत में मुस्लिम समुदाय की धार्मिक व चैरिटेबल संपत्तियों को मान्यता मिली थी।
- केंद्र सरकार द्वारा संशोधन कर वक्फ बोर्ड की संरचना में गैर-मुस्लिम पदेन सदस्यों के लिए प्रावधान किया गया है।
संविधानिक चिंताएं:
- क्या यह धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रबंधन अधिकार का उल्लंघन है?
- क्या यह अनुच्छेद 26 (धार्मिक संस्थाओं को प्रबंधित करने का अधिकार) और अनुच्छेद 29-30 (अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक व शैक्षिक अधिकार) का उल्लंघन करता है?
अगले चरण क्या हो सकते हैं?
- सुप्रीम कोर्ट को तय करना है:
- क्या यह मामला सिर्फ तीन मुद्दों तक सीमित रहेगा या पूरी वैधता की व्यापक जांच होगी?
- क्या धार्मिक प्रबंधन में बाहरी हस्तक्षेप संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है?