भारत में शेयर बाजार का क्रेज इन दिनों काफी देखा जा रहा है। जिसे देखो शेयर बाजार में निवेश करने की सोच रहा है या उसके बारे में बात कर रहा है। कुछ सस्ते एक्सपर्ट नए निवेशक को किसी एक-दो सफल इन्वेस्टर का उदाहरण देकर पेनी सटॉक्स के बारे में बता देते हैं, जो उन नए निवेशक के लिए आगे चलकर घाटे का सौदा बन जाता है। आज हम इसी के बारे में जानेंगे, लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि अगर आप एक अच्छा निवेशक बनने की सोच रहे हैं तो निवेश हमेशा खुद से किए रिसर्च पर कीजिए। मार्केट में संभावनाएं बहुत हैं। करीब 9 साल पहले भारतीय शेयर बाजार का आकार आज की तुलना में करीब तीन गुना कम था। बीएसई सेंसेक्स 31 मार्च 2014 को 22,467.21 के उच्च स्तर पर जाकर बंद हुआ था। 6 जून को जब ये खबर लिखी जा रही है तब बीएसई 62,602 अंक पर जा पहुंचा है।
अधिकतर नए निवेशक पेनी स्टॉक ले लेते हैं। 5 या 10 रुपये वाले शेयर उन्हें बड़े आकर्षक लगते हैं। सस्ते लगते हैं और अपना पूरा पैसा इन्हीं शेयर्स में लगा देते हैं। अब यहां समझने वाली बात ये है कि 5 रुपये के शेयर को 10 रुपये का होने में कंपनी के ग्रोथ को डबल होना पड़ेगा। वहीं 500-1,000 रुपये के शेयर को 750-1,500 रुपये होने में महज 50% का ग्रोथ चाहिए। तो कहां 100 फीसदी और कहां 50 फीसदी। चूंकि हर पेनी शेयर का फंडामेंटल मजबूत नहीं होता। कुछ कंपनियां तो अपने ग्रोथ के आधार पर धीरे-धीरे समय के साथ आगे बढ़ जाती हैं और अपनी पहचान कायम रखती हैं, लेकिन बहुत ऐसी भी कंपनियां होती हैं जो बाद में कहां गायब हो जाती हैं, निवेशकों को पता भी नहीं चलता। निवेशकों के सारे पैसे डूब जाते हैं। ऐसे ही लोग शेयर बाजार को सट्टा बाजार कहते हैं, गाली देते हैं और दूसरों को इसमें आने से रोकते हैं।
शेयर बाजार एक बड़ा समंदर है जहां बड़ी मछलियां हमेशा छोटी और मंझोली मछलियों के शिकार में लगी रहती हैं। इसे आप गुरुकुल के रूप में भी देख सकते हैं, जहां आप अपनी हर गलती से कुछ न कुछ सीखते हैं और लॉस के रूप में गुरू-दक्षिणा देते हैं। जिस तरह बिना गुरू-दक्षिणा के शिक्षा अधूरी होती है ठीक उसी तरह नए-नए निवेशक अपनी छोटी-छोटी गलतियों से हर दिन कुछ न कुछ सीखते हैं। जिस तरह अगर कोई ट्रेडर बिना स्टॉप लॉस लगाए अगर ट्रेडिंग करता है तो उसे भारी नुकसान झेलना पड़ता है। ठीक उसी तरह अगर कोई इन्वेस्टर बिना जांच-परख के किसी के बोलने भर से किसी कंपनी का शेयर खरीद लेता है तो उसे भी नुकसान झेलना पड़ता है।