ऑपरेशन सिंदूर पर विदेश मामलों की कंसलटेटिव कमेटी की बैठक – प्रमुख बिंदु
बैठक का स्वरूप:
- अवधि: लगभग 3 घंटे तक चली बैठक
- स्थान: संसद भवन
- अध्यक्षता: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर
- विषय: ऑपरेशन सिंदूर पर ब्रीफिंग, सांसदों के प्रश्नों के उत्तर
मुख्य विषय और विदेश मंत्री के उत्तर:
1. ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी:
- भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की “सटीक कार्रवाई”
- कार्रवाई से पाकिस्तान के “मॉरल” (हौसले) को गहरी चोट पहुँची
- डीजीएमओ स्तर पर ऑपरेशन समाप्ति के बाद पाकिस्तानी डीजीएमओ को सूचना दी गई — ना कि पहले से
2. क्या अमेरिका ने मध्यस्थता की?
- सांसदों ने पूछा – क्या अमेरिका ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कोई मध्यस्थता की?
- विदेश मंत्री का उत्तर:
“अमेरिका ने कोई मध्यस्थता नहीं की। अमेरिका की ओर से एक फोन आया था, जिसका उत्तर भारत ने स्पष्ट रूप से दिया कि किसी भी प्रकार की बातचीत केवल डीजीएमओ स्तर पर ही होगी।”
3. सिंधु जल संधि पर भारत का रुख:
- सवाल: क्या भारत सिंधु जल समझौता फिर से बहाल करेगा?
- विदेश मंत्री ने कहा:
“सिंधु जल समझौता अभी भी निलंबन में है।”
राजनीतिक और कूटनीतिक महत्व:
पहलू | विश्लेषण |
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ऑपरेशन सिंदूर | यह स्पष्ट संकेत है कि भारत अब प्रॉएक्टिव सैन्य नीति अपनाने से पीछे नहीं हट रहा, और “टेरर के खिलाफ जीरो टॉलरेंस” रणनीति पर कायम है। |
अमेरिका से संवाद | भारत ने स्पष्ट किया कि किसी भी तीसरे पक्ष को सैन्य अभियानों में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं है – यह रणनीतिक स्वायत्तता का संकेत है। |
सिंधु जल समझौता | समझौते का निलंबन पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बनाए रखने की नीति को दर्शाता है, खासकर जब वह भारत विरोधी गतिविधियों को समर्थन देता है। |
निष्कर्ष:
विदेश मामलों की संसदीय समिति को दी गई ब्रीफिंग से यह स्पष्ट है कि भारत सरकार:
- आतंकवाद को लेकर कठोर और निर्णायक रुख अपनाए हुए है।
- संप्रभुता और रणनीतिक स्वायत्तता पर समझौता नहीं कर रही।
- कूटनीतिक मंचों पर पारदर्शिता के साथ संसद को भी विश्वास में ले रही है।