बिहार के गया जिले में ग्रामीण डॉक्टर की पिटाई की घटना न केवल दिल दहला देने वाली है, बल्कि यह राज्य में कानून व्यवस्था की भयावह स्थिति को उजागर करती है। इस मामले ने राजनीतिक हलकों में भी उबाल ला दिया है, खासकर राजद नेता तेजस्वी यादव की तीखी प्रतिक्रिया के बाद।
घटना का सार:
- स्थान: हाराखुरा गांव, गुरपा थाना क्षेत्र, गया जिला (नक्सल प्रभावित इलाका)
- पीड़ित: डॉ. जितेंद्र यादव – एक ग्रामीण चिकित्सक
- घटना: रेप पीड़िता की मां का इलाज करने गए डॉक्टर को शक के आधार पर
- घर से खींच कर बाहर निकाला गया
- पेड़ से बांध कर बेरहमी से पीटा गया
- पीट-पीट कर उसे लहूलुहान कर दिया गया
- आरोप: 2021 में हुए गैंगरेप के आरोपियों को शक था कि डॉक्टर पीड़िता का समर्थक है
- पुलिस: देर से पहुंची, जिसके बाद डॉक्टर को आरोपियों ने छोड़ा
तेजस्वी यादव की तीखी प्रतिक्रिया:
राजद नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो शेयर करते हुए लिखा:
“बिहार में तालिबान से भी बदतर स्थिति है। डॉक्टर को इलाज के लिए जाने पर पेड़ से बांधकर पीटा गया। सरकार अचेत है, शासन अस्त-पस्त है। 20 वर्षों की भ्रष्ट NDA सरकार कानून व्यवस्था संभालने में पूरी तरह विफल है।”
उन्होंने आरोप लगाया:
- अपराधी खुलेआम कानून हाथ में ले रहे हैं
- प्रशासन और पुलिस लाचार है
- सरकार जनता की सुरक्षा की बजाय खजाना लूटने में व्यस्त है
कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल:
इस घटना ने कई गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं:
- पीड़िता का इलाज करना भी अब अपराध माना जा रहा है?
- क्या नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस की पहुँच और प्रभाव शून्य हो चुकी है?
- क्या 2021 में हुई गैंगरेप की जांच और न्याय प्रक्रिया अधूरी रह गई थी?
- क्या सरकार इन आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करेगी?
अब आगे क्या?
- एफआईआर दर्ज हुई है या नहीं? – इस पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
- पीड़ित डॉक्टर का मेडिकल इलाज और सुरक्षा – यह सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
- गांव में दहशत का माहौल है – जिससे भविष्य में कोई भी डॉक्टर या सामाजिक कार्यकर्ता रेप पीड़ितों की मदद से कतराएगा।
- विपक्ष, विशेषकर राजद और कांग्रेस इस मुद्दे को विधानसभा में उठा सकते हैं।
निष्कर्ष:
यह घटना बिहार में सामाजिक न्याय, चिकित्सा सेवा और कानून व्यवस्था – तीनों की नाकामी का प्रतीक बन गई है। यदि ऐसे मामलों में दोषियों को कड़ी और त्वरित सज़ा नहीं दी गई, तो समाज में अराजकता और डर का माहौल और गहरा होगा।