ऑस्ट्रेलिया की सरकार दक्षिणपंथी गतिविधियों में वृद्धि के कारण देशभर में कई नाजी प्रतीकों पर बैन लगाने की तैयारी में है। सरकार इसके लिए कानून लाने वाली है। अटॉर्नी जनरल मार्क ड्रेफस ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी।
To those who are targeted because of their faith, we stand with you.
For those who face abuse simply for being who they are, we stand with you.
My op-ed on banning Nazi symbols in the @aus_jewishnews today:https://t.co/cCKilkAtTz pic.twitter.com/Wsg6StTT1R
— Mark Dreyfus (@MarkDreyfusKCMP) June 8, 2023
अधिकांश ऑस्ट्रेलियाई राज्य पहले से ही ऐसे नाजी प्रतीकों पर प्रतिबंध लगा चुके हैं, लेकिन संसद के इस संघीय कानून से ऐसे प्रतीकों का इस्तेमाल कम होने की उम्मीद है।
अटॉर्नी जनरल ने कहा – “इस प्रतीक को लगाकर हिंसक धुर दक्षिणपंथी गतिविधियों में वृद्धि हुई है। हमें लगता है कि यह एक संघीय कानून लाने का समय है जिसे मैं अगले सप्ताह संसद में लाऊंगा। हमें आयात और निर्यात की जिम्मेदारी मिली है। हम इस तरह की स्मृति वाले वस्तुओं या उन नाजी प्रतीकों वाले किसी भी आइटम में व्यापार का अंत देखना चाहते हैं। घृणा और हिंसा फैलाने के लिए ऑस्ट्रेलिया में कोई जगह नहीं है।”
यह स्पष्ट नहीं है कि प्रतिबंध कब पारित हो सकता है या प्रभावी हो सकता है। कानून में नाज़ी प्रतीकों को प्रदर्शित करने वाले लोगों को एक साल तक की जेल और जुर्माना लगाना शामिल होगा।
धार्मिक, शैक्षिक या कलात्मक उद्देश्यों के लिए इन प्रतीकों को प्रदर्शित करना प्रतिबंध की श्रेणी में शामिल नहीं होगा। यह हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म का पालन करने वाले लोगों के लिए स्वस्तिक के उपयोग को प्रभावित नहीं करेगा।
बता दें कि जर्मन शासक हिटलर अपने झंडे में 45 डिग्री झुका हुआ स्वास्तिक इस्तेमाल करता था, जिसे हकेनक्रेज कहा जाता है। यह हिंदुओं के स्वास्तिक से अलग था। इस चिह्न को हिंसा का प्रतीक कहा जाता था।