भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और इसरो के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आने वाले 10 जून 2025 को एक ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन पर रवाना होने जा रहे हैं, जब वे स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान में सवार होकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरेंगे। यह मिशन Axiom Space द्वारा संचालित Ax-4 (Axiom Mission 4) का हिस्सा है, जिसमें भारत, अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। शुभांशु इस मिशन में पायलट की भूमिका निभाएंगे, जो कि किसी भी भारतीय के लिए अब तक का सबसे उच्च श्रेणी का अंतरराष्ट्रीय दायित्व है। स्पेसएक्स ने हाल ही में इस ड्रैगन अंतरिक्ष यान की पहली तस्वीर एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा की है, जो फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर स्थित लॉन्च पैड 39A में अपने पहले मिशन के लिए पूरी तरह से तैयार है।
ड्रैगन कैप्सूल, जो कि एक स्वचालित स्पेसक्राफ्ट है, को Falcon-9 रीयूजेबल रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा। यद्यपि यान पूरी तरह से स्वचालित है, शुभांशु इसकी लॉन्च और डॉकिंग प्रक्रियाओं की निगरानी करेंगे और ज़रूरत पड़ने पर हस्तक्षेप कर सकते हैं। अंतरिक्ष से लौटने के बाद भी यह यान पुनः प्रयोग योग्य रहेगा, जिससे अंतरिक्ष अभियानों की लागत और समय दोनों में कटौती होती है।
Dragon arrives at the hangar at pad 39A in Florida ahead of its first flight. Falcon 9 is targeted to launch Dragon and @Axiom_Space’s Ax-4 crew to the @Space_Station next Tuesday, June 10 pic.twitter.com/grW77raeD0
— SpaceX (@SpaceX) June 5, 2025
शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सिटी मोंटेसरी स्कूल, लखनऊ से प्राप्त की और 1999 के कारगिल युद्ध से प्रेरित होकर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में प्रवेश लिया। 2005 में NDA से स्नातक होने के बाद उन्होंने 2006 में भारतीय वायुसेना में एक फाइटर पायलट के रूप में कमीशन प्राप्त किया। वे एक अनुभवी टेस्ट पायलट और कॉम्बैट लीडर हैं, जिन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier 228, और An-32 जैसे कई लड़ाकू और परिवहन विमानों को उड़ाया है। उनके पास 2,000 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव है।
2019 में उन्हें ISRO के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन “गगनयान” के लिए चुना गया। इसके तहत उन्होंने रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में एक वर्ष की कठोर प्रशिक्षण प्राप्त की और फिर बेंगलुरु स्थित इसरो के अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण जारी रखा। 2024 में उन्हें गगनयान मिशन का आधिकारिक अंतरिक्ष यात्री घोषित किया गया।
Ax-4 मिशन के लिए उन्हें स्पेसएक्स और Axiom Space द्वारा विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जो उन्हें अंतरिक्ष यान के संचालन, जीवन समर्थन प्रणालियों और आपातकालीन प्रक्रियाओं में दक्ष बनाता है। शुभांशु न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक प्रेरणा बन चुके हैं, क्योंकि वे 40 वर्षों बाद किसी भारतीय के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करने वाले दूसरे व्यक्ति बनेंगे — पहले व्यक्ति राकेश शर्मा थे, जिन्होंने 1984 में सोवियत मिशन के तहत उड़ान भरी थी।
यह मिशन भारत की वैश्विक अंतरिक्ष भागीदारी में एक नया अध्याय जोड़ता है और आने वाले गगनयान मिशन की नींव को और मजबूत करता है। शुभांशु शुक्ला की यह उपलब्धि ना सिर्फ भारतीय वायुसेना और इसरो के लिए गर्व की बात है, बल्कि समस्त भारतीय युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण भी है कि कैसे समर्पण, प्रशिक्षण और संकल्प से वैश्विक अंतरिक्ष मंच पर भारत की चमक और ऊँचाई तक पहुंच सकती है।