असम में बाढ़ की स्थिति अब भी गंभीर, 4.43 लाख से अधिक लोग प्रभावित, वन्यजीवों पर भी संकट
असम में बाढ़ की स्थिति शुक्रवार को भी गंभीर बनी रही, जहां 16 जिलों में 4.43 लाख से अधिक लोग अब भी बाढ़ की चपेट में हैं। राज्य की प्रमुख नदियों, विशेष रूप से ब्रह्मपुत्र, का जलस्तर घटने लगा है, लेकिन हालात अभी भी चिंताजनक बने हुए हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) की रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ और भूस्खलन से राज्य में अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कामरूप (मेट्रो) जिले में एक व्यक्ति लापता बताया गया है।
बाढ़ से 16 जिलों के 54 राजस्व सर्किलों में 1,296 गांव प्रभावित हैं और 16,558.59 हेक्टेयर कृषि भूमि अभी भी जलमग्न है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। करीब 2.96 लाख पशु भी इस आपदा की मार झेल रहे हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है, जिसमें राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) सक्रिय रूप से भाग ले रहा है। श्रीभूमि जिले में लोगों को सुरक्षित निकालने का अभियान शुक्रवार सुबह से ही चल रहा है।
सरकार द्वारा अब तक 328 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जिनमें 40,313 विस्थापित लोग शरण लिए हुए हैं। इसके अलावा 1,19,001 लोगों को वितरण केंद्रों के माध्यम से राहत सामग्री प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा स्थिति का जायजा लेने के लिए इस सप्ताह दूसरी बार बराक घाटी का दौरा करने वाले हैं, क्योंकि राज्य का दक्षिणी हिस्सा, विशेषकर तीन जिले, बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
बाढ़ का असर केवल इंसानों तक सीमित नहीं है। मोरीगांव जिले के पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा जलमग्न हो गया है। इस कारण गैंडों और अन्य वन्यजीवों को ऊंचे स्थानों की ओर पलायन करना पड़ा है। वन विभाग ने वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए रात्रि गश्त बढ़ा दी है, साथ ही भोजन और सुरक्षित आश्रय की व्यवस्था की जा रही है, ताकि शिकारियों द्वारा किसी भी मौके का फायदा न उठाया जा सके।
हालांकि अभी किसी नई मौत की खबर नहीं है, लेकिन बाढ़ की भयावहता और इसका व्यापक प्रभाव असम की सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक ताने-बाने को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। राहत और पुनर्वास कार्यों की गति और प्रभावशीलता आने वाले दिनों में लाखों प्रभावित लोगों के भविष्य को निर्धारित करेगी।