सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया, फंड रिलीज़ की थी मांग
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु सरकार की उस याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार से समग्र शिक्षा योजना के तहत 2291 करोड़ रुपये की बकाया राशि जारी करने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति पी.के. मिश्र और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता नहीं है।
तमिलनाडु सरकार की दलील
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर मूल वाद में आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार फंड रोककर राज्य पर जबरन तीन भाषा फार्मूला थोपना चाहती है और हिंदी भाषा को अनिवार्य रूप से लागू करने की कोशिश कर रही है। याचिका में कहा गया कि बच्चों की शिक्षा के लिए मिलने वाला फंड रोककर केंद्र सरकार संविधान में निहित संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रही है।
सरकार ने यह भी आरोप लगाया है कि केंद्र, समग्र शिक्षा योजना को पीएम श्री स्कूल योजना से जोड़कर राज्य को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 लागू करने के लिए बाध्य कर रहा है, जबकि ऐसा कोई आपसी लिखित समझौता नहीं हुआ है।
याचिका में मांग
तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह:
- लंबित 2291 करोड़ रुपये एक निर्धारित समय सीमा में जारी करे।
- मूल राशि पर 6% ब्याज भी दिया जाए।
राज्य का कहना है कि जब तक केंद्र और राज्य सरकार के बीच कोई औपचारिक सहमति नहीं बनती, तब तक नई शिक्षा नीति और उससे जुड़ी योजनाएं राज्य पर लागू नहीं की जा सकतीं। सरकार ने केंद्र के इस रवैये को गरीब बच्चों की शिक्षा के अधिकार के साथ अन्याय बताया है।