असम में अवैध घुसपैठियों के खिलाफ अब 1950 के “अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम” का उपयोग किया जाएगा, जिससे राज्य सरकार को सीधे कार्रवाई करने की कानूनी शक्ति मिल गई है। यह कदम मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा घोषित किया गया, जिन्होंने कहा कि अब अदालत या विदेशी ट्रिब्यूनल का सहारा लिए बिना ही अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को सीधे सीमा पार वापस भेजा जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने साफ किया कि इस पुराने कानून का उपयोग दशकों से नहीं हुआ था, और यह लगभग भुला दिया गया था। लेकिन अब, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अक्टूबर 2024 में इस कानून को वैध ठहराने और इसे धारा 6A के पूरक के रूप में मान्यता देने के बाद, इसे फिर से प्रभाव में लाया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि यह कानून और नागरिकता कानून की धारा 6A एक-दूसरे के विरोध में नहीं, बल्कि पूरक हैं और दोनों का एक साथ उपयोग किया जा सकता है।
मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
🔹 1950 का अप्रवासी निष्कासन अधिनियम क्या है?
- यह कानून केवल असम राज्य में लागू होता है।
- इसके तहत केंद्र सरकार, या उसके द्वारा अधिकृत अधिकारी (जैसे कि जिला कलेक्टर), किसी भी ऐसे व्यक्ति को जो अवैध रूप से असम में रह रहा हो, सीधे राज्य से निष्कासित कर सकते हैं।
- यह उन मामलों पर लागू होता है जब किसी व्यक्ति की मौजूदगी आम जन या किसी विशेष जनजातीय समूह के लिए खतरा हो।
- इस कानून की शुरुआत पूर्वी सीमा (बांग्लादेश) से आने वाले घुसपैठियों को नियंत्रित करने के लिए की गई थी, क्योंकि उस समय विदेशी अधिनियम, 1946 पाकिस्तान से आए लोगों को कवर नहीं करता था।
🔹 क्या कहती है सुप्रीम कोर्ट की वैधता?
- कोर्ट ने कहा कि इस अधिनियम का आज भी कानूनी अस्तित्व है।
- धारा 6A (जो 1971 के बाद बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को 1985 तक नागरिकता देती है) के साथ इसका कोई टकराव नहीं है।
- कोर्ट ने माना कि बांग्लादेश से असम में प्रवास लंबे समय से एक गंभीर राष्ट्रीय चिंता है और इस पर निर्णायक कार्रवाई की ज़रूरत है।
🔹 क्या बदलाव होगा?
- अब हर मामले में विदेशी ट्रिब्यूनल या कोर्ट में जाने की ज़रूरत नहीं होगी।
- जैसे ही कोई अवैध प्रवासी पकड़ा जाता है, कलेक्टर सीधे निष्कासन का आदेश दे सकता है।
- इससे NRC जैसी प्रक्रियाओं में बनी देरी खत्म होगी और निर्वासन की गति तेज़ होगी।
🔹 अपवाद क्या हैं?
- वे लोग जिन्होंने अदालत में निष्कासन आदेश को चुनौती दी है, उन्हें फिलहाल नहीं निकाला जाएगा जब तक न्यायालय का फ़ैसला नहीं आ जाता।
यह निर्णय असम में अवैध घुसपैठ पर निर्णायक कार्रवाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। सरकार का कहना है कि अब असम में जनसांख्यिकीय असंतुलन को रोका जाएगा और स्थानीय लोगों की सामाजिक व सांस्कृतिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।