पश्चिम एशिया में जारी तनाव के बीच ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने एक कड़ी चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि यदि अमेरिका इजरायल के साथ चल रहे संघर्ष में सैन्य रूप से शामिल होता है, तो यह स्थिति “हर किसी के लिए बेहद, बेहद खतरनाक” हो सकती है। उन्होंने अमेरिका को आगाह करते हुए कहा कि इस प्रकार की सैन्य भागीदारी न केवल क्षेत्रीय, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा बन जाएगी।
अराघची की सख्त भाषा: “हम पर थोपी गई जंग”
अराघची ने यह बयान इस्तांबुल में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान दिया, जब वे जिनेवा में विफल रही कूटनीतिक वार्ता के बाद लौट रहे थे।
“इजरायल ने हम पर गलत तरीके से हमला किया है। यह एक जबरन थोपी गई जंग है। इजरायल केवल हमारे खिलाफ ही नहीं, बल्कि फिलिस्तीनियों के खिलाफ भी अत्याचार कर रहा है और उनके इलाकों पर अवैध कब्ज़ा जमाए हुए है। अब समय आ गया है कि सभी देश इस ज़ायोनी शासन के खिलाफ एकजुट हों।”
“इजरायल के हमले रुके बिना अमेरिका से कोई बातचीत नहीं”
अराघची ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक इजरायल द्वारा हमले जारी रहेंगे, ईरान अमेरिका के साथ किसी भी प्रकार की वार्ता में शामिल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में कूटनीति की गुंजाइश तभी बन सकती है जब इजरायल पीछे हटे।
अमेरिकी हस्तक्षेप: “ट्रंप को सोचना चाहिए”
ईरान के विदेश मंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चेताते हुए कहा कि अगर अमेरिका ने सैन्य हस्तक्षेप किया तो यह “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” निर्णय होगा।
“अगर अमेरिका युद्ध में उतरता है, तो यह न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर नतीजों वाला कदम होगा। इस स्थिति से निपटने का एकमात्र रास्ता कूटनीति और संयम है, न कि शक्ति प्रदर्शन।”
अराघची की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब अमेरिकी खुफिया सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप प्रशासन मध्य-पूर्व में अमेरिकी सैन्य भूमिका पर सक्रिय रूप से विचार कर रहा है।
ईरान की रणनीति: राजनीतिक समर्थन, सैन्य प्रतिक्रिया नहीं
अराघची ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल ईरान की प्राथमिकता राजनीतिक और कूटनीतिक समर्थन पर है, न कि सीधी सैन्य जवाबी कार्रवाई पर। हालांकि, उन्होंने यह संकेत दिया कि यदि इजरायल की कार्रवाई नहीं रुकी तो ईरान की रणनीति में बदलाव संभव है।
ईरान और इजरायल के बीच तनावपूर्ण गतिरोध अब अमेरिका की संभावित भूमिका के कारण और भी अधिक जटिल हो गया है। यदि अमेरिका इस संघर्ष में सैन्य रूप से उतरता है, तो इससे एक बहु-देशीय युद्ध का खतरा उत्पन्न हो सकता है। अराघची की टिप्पणियां न केवल एक राजनीतिक चेतावनी हैं, बल्कि एक संदेश भी हैं कि पश्चिम एशिया में किसी भी असंतुलित कदम का असर दुनिया भर में महसूस किया जा सकता है।
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