आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक विशेष बैठक आयोजित की गई, जिसमें आपातकाल के दौरान संविधान की भावना को कुचलने के प्रयासों का बहादुरी से विरोध करने वाले अनगिनत लोगों के बलिदान को याद किया गया। बैठक में उन सभी व्यक्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई जिन्होंने उस कठिन समय में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए साहस दिखाया। कैबिनेट बैठक में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें सम्मानित किया गया और एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें उनके त्याग को मान्यता दी गई।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक में प्रस्ताव पढ़ते हुए कहा कि यह सब 1974 में नव निर्माण आंदोलन और संपूर्ण क्रांति अभियान को कुचलने के प्रयासों से शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान संघवाद को कमजोर कर दिया गया, नागरिकों के मौलिक अधिकारों और मानवीय स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया गया। कैबिनेट ने यह भी दोहराया कि भारत के लोग संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों में अटूट आस्था रखते हैं और किसी भी परिस्थिति में इन्हें संरक्षित रखने के लिए संकल्पबद्ध हैं।
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