कर्नाटक के गृह मंत्री और प्रमुख दलित नेता डॉ. जी परमेश्वर के ‘दलित सीएम’ को लेकर दिए गए एक बयान को लेकर हलचल तेज हो गई है. परमेश्वर ने राज्य में ‘दलित सीएम’ नहीं बनाने की बात कहकर सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है. परमेश्वर ने ये भी दावा कर दिया है कि कर्नाटक कांग्रेस की सरकार में सबकुछ ठीक नहीं है.
अंबेडकर भवन में विभिन्न दलित समुदायों द्वारा आयोजित अनुसूचित जाति सभा में जी परमेश्वर ने कहा कि जब मैं कर्नाटक कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष था, उस दौरान 2013 में पार्टी को सत्ता में लाने के बावजूद मैं मुख्यमंत्री नहीं बन सका. हालांकि, मेरे नेतृत्व में पार्टी ने सफलता पाई थी. इसके बावजूद किसी ने भी मुझे क्रेडिट नहीं दिया. मैंने क्रेडिट लेने की कोशिश भी नहीं की. 2018 में दलितों की उपेक्षा करने के चलते पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. दलितों की उपेक्षा करने वाले तथाकथित बड़े नेताओं को चुनाव में सबक सिखाना था.
सिद्दारमैया सरकार में मंत्री परमेश्वर ने ये भी दावा कर दिया कि जान-बूझकर दलित नेताओं को सीएम नहीं बनाया जा रहा है. मैं या सामाजिक कल्याण मंत्री डॉ. एचसी महादेवाप्पा, खाद्य आपूर्ति मंत्री केएच मुनियप्पा को सीएम क्यों नहीं बनाया जा सकता है. उन्होंने दलित नेताओं से हीनभावना छोड़कर एकजुट होने की अपील भी कर डाली.
जी परमेश्वर कर्नाटक के बड़े दलित नेता हैं और उन्होंने कभी भी कांग्रेस के प्रति अपनी वफादारी नहीं छोड़ी है. लिहाजा, उनका बयान कई मायनों में बेहद खास माना जा रहा है. सूत्रों की मानें तो आलाकमान कर्नाटक कांग्रेस में जारी सियासी बयानबाजी पर नजर बनाए हुए है. कांग्रेस नहीं चाहती है कि लोकसभा और बेंगलुरु निकाय चुनाव से पहले दलितों और अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटबैंक को खोने का जोखिम उठाया जाए.