देश में कई तरह के चावल की खेती होती है। इन चावलों में से एक कालानमक है। कालानमक चावल को गैर-बासमती माना जाता है। विदेश में इस चावल की काफी डिमांड है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय ने कालानमक के निर्यात को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया है। नोटिफिकेशन के अनुसार 1,000 टन तक के कालाचावल के निर्यात पर लगने वाला शुल्क को खत्म कर दिया गया है। कालानमक चावल के विदेशी शिपमेंट पर शुल्क 20 प्रतिशत लगता है।
मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार चावल की इस किस्म के 1,000 टन तक के निर्यात पर शुल्क छूट बुधवार यानी आज से लागू होगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने मंगलवार को 1,000 टन तक कालानमक चावल के निर्यात की अनुमति दी थी।
कालानमक चावल क्या है?
कालानमक एक गैर-बासमती चावल की किस्म है। सरकार ने इसके निर्यात पर पहले प्रतिबंध लगाया था। वर्तमान में यह चावल देश के कुल 6 शिपिंग स्टेशन से निर्यात करने की अनुमति है।
यह शिपिंग स्टेशन वाराणसी एयर कार्गो; जेएनसीएच (जवाहरलाल नेहरू कस्टम्स हाउस), महाराष्ट्र; सीएच (कस्टम हाउस) कांडला, गुजरात; एलसीएस (भूमि सीमा शुल्क स्टेशन) नेपालगंज रोड; एलसीएस सोनौली; एवं एलसीएस बरहनी है।
काला नकम की खासियत
काला नमक चावल में अधिक एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जिसके कारण स्वास्थ्य संबंधी कई बीमारियों में इसका इस्तेमाल फायदेमंद होता है. इसके संवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. काला चावल में सफेद और भूरे चावल की तुलना में आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ई, विटामिन बी, कैल्शियम और जिंक ज्यादा पाया जाता है.