पेमा खांडू ने गुरुवार (13 जून 2024) को लगातार तीसरी बार अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इनके साथ ही चौना मीन ने अरुणाचल प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है. शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा भी शामिल हुए. दोनों बुधवार को ईटानगर पहुंच गए थे. खांडू 2016 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. इससे पहले बुधवार को खांडू को अरुणाचल प्रदेश में भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में सर्वसम्मति से चुना गया था.
#WATCH | Pema Khandu takes oath as the Chief Minister of Arunachal Pradesh. pic.twitter.com/413tSLcgrY
— ANI (@ANI) June 13, 2024
Chowna Mein takes oath as the Deputy Chief Minister of Arunachal Pradesh. pic.twitter.com/P68yWOLw88
— ANI (@ANI) June 13, 2024
विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद खांडू ने एक्स पर एक पोस्ट पर बुधवार को लिखा, “मैं अपने साथी भाजपा विधायकों का मुझ पर भरोसा जताने के लिए आभारी हूं. मैं अपने सांसदों, पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी दिन-रात काम करने के लिए धन्यवाद देता हूं, ताकि चुनावों में शानदार जीत सुनिश्चित हो सके. अब, आइए अरुणाचल प्रदेश में सर्वांगीण विकास की गति को और तेज करने और 2047 तक समावेशी विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए मिलकर कड़ी मेहनत करें.”
10 कैबिनेट मिनिस्टर ने भी ली शपथ
पेमा खांडू के साथ 10 कैबिनेट मिनिस्टर ने भी शपथ ली है. नए कैबिनेट मंत्रियों में पीडी सोना, मामा नटुंग, दासंगलु पुल, केंटो जिनी, जीडी वांगसू, बियुराम वाहगे, न्यातो दुकाम, वांगकी लोवांग, बालो राजा और ओजिंग तासिंग शामिल हैं.
भाजपा ने कितनी सीटें जीती थी?
सत्तारूढ़ भाजपा ने 60 सदस्यीय विधानसभा में 46 सीटें जीती थीं, जबकि एनपीपी ने 5, NCP ने तीन, पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (PPA) ने दो सीटें जीती थीं। वहीं कांग्रेस ने एक सीट और निर्दलीय उम्मीदवारों ने तीन सीटों पर जीत हासिल की थी। अरुणाचल प्रदेश की दोनों लोकसभा सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है। बता दें कि यहां लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल को राज्य में विधानसभा चुनावों के साथ ही हुए थे।
जानें पेमा खांडू के बारे में
खेल और संगीत के शौकीन पेमा खांडू पिछले कुछ वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में एक बड़े नेता के रूप में उभरे हैं, विशेषकर 2016 में पैदा हुए उस संवैधानिक संकट के बाद जिसके कारण राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था। खांडू कुशल चुनावी रणनीतिकार के रूप में अपनी छवि बनाने में भी सफल रहे हैं। अपनी रणनीति की बदौलत ही उन्होंने इस पूर्वोत्तर राज्य में कमल (भाजपा का चुनाव चिह्न) फिर से खिलाया है। भाजपा ने अरुणाचल प्रदेश में लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी करते हुए रविवार को 60 सदस्यीय विधानसभा में 46 सीट जीतकर बहुमत हासिल कर लिया।
पिता का हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हुआ था निधन
खांडू की राजनीतिक यात्रा एक व्यक्तिगत त्रासदी के बीच शुरू हुई। उनके पिता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दोर्जी खांडू का 2011 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया था। पेमा खांडू वर्ष 2000 में कांग्रेस में शामिल हुए और विभिन्न पदों पर रहे। वह जून 2011 में अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र मुक्तो से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में विधानसभा उपचुनाव में निर्विरोध चुने गए। पेमा खांडू मुख्यमंत्री नबाम तुकी की सरकार में जल संसाधन विकास और पर्यटन मंत्री बने थे। जनवरी 2016 में उस संवैधानिक संकट के बाद उनके नेतृत्व का दायरा तेजी से बढ़ा था, जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। जब केंद्र का शासन हटा तो वह भाजपा समर्थित कलिखो पुल के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बने। यह सरकार हालांकि कुछ ही समय चली।
2016 से अरुणाचल के मुख्यमंत्री हैं खांडू
सुप्रीप कोर्ट के हस्तक्षेप से तुकी सरकार को बहाल कर दिया गया लेकिन तुकी ने शीघ्र ही इस्तीफा दे दिया। इसके बाद मात्र 37 वर्ष की आयु में खांडू जुलाई, 2016 में मुख्यमंत्री बन गये। चीन की सीमा से लगते इस महत्वपूर्ण राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में पद संभालने के बाद से खांडू और उनके मंत्रिमंडल ने दो बार अपनी पार्टी बदली है-कांग्रेस से पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (पीपीए) में और फिर भाजपा में, वह भी महज पांच महीने के अंतराल में। उनके कार्यकाल के मात्र तीन महीने बाद ही सत्तारूढ़ कांग्रेस के 43 विधायक भाजपा की सहयोगी पीपीए में शामिल हो गए थे। वर्ष 2019 में खांडू ने दूसरी बार मुक्तो विधानसभा सीट से जीत हासिल की और बिना किसी राजनीतिक अड़चन के मुख्यमंत्री बने।
संगीत और खेल के हैं शौकीन
राजनीति से परे खांडू अपने सांस्कृतिक योगदान के लिए जाने जाते हैं। वह एक संगीत प्रेमी हैं तथा आधिकारिक समारोहों में किशोर कुमार और मोहम्मद रफी के गीत गाकर श्रोताओं का मन मोह लेते हैं। खेल, खांडू के अन्य जुनूनों में से एक है, जिसमें वे सक्रिय रूप से क्रिकेट टूर्नामेंटों का आयोजन करते हैं और स्थानीय एथलीट का समर्थन करते हैं तथा फुटबॉल, क्रिकेट, बैडमिंटन और वॉलीबॉल सहित विभिन्न खेलों में प्रतिभाओं को बढ़ावा देते हैं। दिल्ली के हिंदू कॉलेज से इतिहास में स्नातक खांडू मोनपा जनजाति से आते हैं, जो मुख्य रूप से तवांग और पश्चिमी कामेंग के कुछ हिस्सों में निवास करती है। बौद्ध धर्म को मानने वाले 45 वर्षीय खांडू इस बार भी सीमावर्ती जिले तवांग की मुक्तो सीट से निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।