आंध्र प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने बताया है कि तिरुपति के लड्डू में मिलावट मामले की एसआईटी जांच अस्थायी रूप से स्थगित कर दी गई है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि मामला उच्चतम न्यायालय के विचाराधीन है। आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने हाल में प्रसाद में मिलावट के आरोप लगाए थे। इस मामले की जांच के लिए नौ सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था।
3 अक्टूबर तक जांच स्थगित
आंध्र प्रदेश के डीजीपी द्वारका तिरुमाला राव के निर्देश के अनुसार, तिरुपति लड्डू प्रसादम में मिलावट के मामले की जांच कर रही SIT ने अपनी जांच को अस्थायी रूप से 3 अक्टूबर तक के लिए निलंबित कर दिया है। ये फैसला फैसला सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के कारण लिया गया है।
#WATCH | Tirupati: Andhra Pradesh DGP Dwaraka Tirumala Rao says, "There is a petition filed before Supreme Court about the constitution of SIT. So, some arguments went on yesterday. So, we have been informed to stall the further proceedings till 3rd October. So, our team has… https://t.co/9qp2tOIMYn pic.twitter.com/hGSupsDBjT
— ANI (@ANI) October 1, 2024
TTD में लोगों के बयान दर्ज हुए
आंध्र प्रदेश के डीजीपी द्वारका तिरुमला राव ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में SIT गठन को लेकर याचिका दायर की गई है। इसके लिए कल कोर्ट में बहस भी हुई है। आईजी के नेतृत्व में हमारी टीम आई जिन्होंने TTD के विभिन्न स्थानों, खरीद क्षेत्र, सैंपल संग्रह क्षेत्र का दौरा किया और उन्होंने लोगों की जांच की और बयान दर्ज किए हैं। डीजीपी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय के लिए रुकने को कहा है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए, हमने कुछ समय के लिए जांच पर रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट के बयान पर बोले पवन कल्याण
बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने तिरूपति लड्डू प्रसादम मामले में सुनवाई की थी और भगवान व राजनीति को दूर रखने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने कहा है कि कोर्ट ने ये नहीं कहा कि लड्डू में मिलावट नहीं है। कोर्ट के पास जो भी जानकारी है उन्होंने उस पर टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने यह नहीं कहा कि यह शुद्ध था। पवन कल्याण ने कहा कि तारीख को लेकर कन्फ्यूजन थी जिसे दूर कर लिया जाएगा। पवन कल्याण ने कहा कि यह सिर्फ प्रसाद का मामला नहीं है। पिछले 5 वर्षों में किस तरह का उल्लंघन हुआ है। हमारी सरकार इस पर आगे बढ़ेगी।