ओडिशा में भाजपा ने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता है। वहीं, पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने आंध्र प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है। अब इन दोनों ही राज्यों में 12 जून की तारीख को शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जाएगा। इन दोनों ही राज्यों के शथ समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होने वाले हैं।
ओडिशा में पहली बार बीजेपी को अपने दम पर जीत मिली है. इस ऐतिहासिक जीत के पीछे पीएम मोदी की लोकप्रियता तो थी ही, साथ ही ओडिशा में संगठन को पिछले दो दशकों से लगातार सक्रिय रखना भी था. नवीन पटनायक की लोकप्रियता भी ऐसी थी कि आंखें मूंद कर भी ओडिशा की जनता उन्हें वोट करती आ रही थी. लेकिन छठी बार नवीब बाबू थोड़ी चूक कर गए. अपने आईएएस पीए वीके पांड्यन को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. यहीं से केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने मोर्चा खोल दिया. न सिर्फ ओडिशा अस्मिता की बात उठाई बल्कि भूमिपुत्र की बात कर ओडिशा के वोटरों को झकझोर कर रख दिया. उधर नवीन बाबू, जो अब तक हर मौके पर पीएम मोदी का साथ देते रहे थे, ने थोड़ा पैंतरा बदला और अपने दूत वीके पांड्यन को दिल्ली भेजा.
नवीन पटनायक चाहते थे कि ओडिशा में बीजेपी-बीजेडी का गठबंधन हो जाए. पांड्यन दिल्ली पहुंचे तो जरुर लेकिन इस बार धर्मेन्द्र प्रधान अपने तर्कों के साथ मौजुद थे. उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को जमीनी हकीकत बतायी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आश्वस्त किया गया कि उनका नाम और संगठन इस बार जीत के लिए तैयार है. पीएम मोदी के ओडिशा में कड़े तेवरों से साफ था कि उन्हें भरोसा हो चला था जीत का. नवीन बाबू अपना रिकॉर्ड छठा टर्म नहीं जीत पाए लेकिन इस जनादेश के बाद अब लगता नहीं प्रयोग की जरुरत है. जरुरत इस बात की है कि ऐसा मुख्यमंत्री बने जो अनुभवी हो और पार्टी ओडिशा में अपने भरोसेमंद पर ही भरोसा करे, ताकि इस ऐतिहासिक जीत के बाद बीजेपी को लंबे समय तक आगे ले जाया जा सके.
अनुभव और ओडिशा के लिए प्रतिबद्धता की बात हो तो धर्मेन्द्र प्रधान का नाम सबसे आगे आता है. 2004 में पहली बार ओडिशा से लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद धर्मेन्द्र प्रधान ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. कर्नाटक, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के प्रभारी रह कर चुनाव भी लड़वाए और 2014 में केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में शुरू हुए आक्रामक अभियान ने 2014 से 2019 के बीच ओडिशा में पार्टी के लिए मजबूत नींव रखी.
कौन होगा ओडिशा का सीएम?
ओडिशा में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह के बारे में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल ने जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री परसो यानी 12 जून को यहांशपथ ग्रहण समारोह के लिए ओडिशा पहुंचेंगे। शाम 5 बजे भुवनेश्वर स्थित जनता मैदान में हमारा शपथ ग्रहण समारोह होगा। राज्य में सीएम पद के बारे में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का चेहरा संसदीय दल तय करेगा। भाजपा में कोई रेस में नहीं है।
राजनाथ सिंह और भूपेंद्र यादव पर्यवेक्षक
ओडिशा के नए मुख्यमंत्री के चयन के लिए मंगलवार को भाजपा विधायक दल की बैठक होगी। भाजपा ने 147 सदस्यीय ओडिशा विधानसभा में 78 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया है। ओडिशा में नए सीएम के लिए अब सबकी नजरें ब्रजराजनगर क्षेत्र से विधायक सुरेश पुजारी पर हैं। भाजपा ने ओडिशा के नए मुख्यमंत्री के चयन के लिए केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह और भूपेंद्र यादव को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।
आंध्र में नाडयू होंगे सीएम
आंध्र प्रदेश में एक बार फिर से चंद्रबाबू नायडू के ही मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद की जा रही है। आपको बता दें कि नायडू इससे पहले साल 1995 से लेकर 2004 तक और 2014 से लेकर 2019 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाल चुके हैं। विधानससभा चुनाव में टीडीपी, जनसेना और भाजपा गठबंधन ने 175 में से 164 सीटों पर जीत हासिल की है।
“Swearing – In ceremony will be held @ 11:27 AM
on 12th June, 2024 near Kesarapalli IT Park, Gannavaram, Krishna District.”
— CMO Andhra Pradesh (@AndhraPradeshCM) June 8, 2024