अरुणाचल प्रदेश पर चीन के ‘बेतुके दावों’ को विदेश मंत्रालय ने खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि ‘बार-बार इस संबंध में निराधार तर्क दोहराने से ऐसे दावों को कोई वैधता नहीं मिलती है।’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा रहेगा।
‘चीन के क्षेत्र का स्वाभाविक हिस्सा अरुणाचल’
जयसवाल का बयान चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल झांग शियाओगांग की टिप्पणियों पर मीडिया के सवालों के जवाब में आया है। दरसअल, चीनी प्रवक्ता ने अरुणाचल प्रदेश पर बीजिंग के दावे को दोहराया और इस क्षेत्र को चीन के क्षेत्र का स्वाभाविक हिस्सा बताया था। जब झांग से अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग के माध्यम से भारत की सैन्य तैयारी बढ़ाने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि जिजांग का दक्षिणी भाग (तिब्बत का चीनी नाम) चीन के क्षेत्र का एक अंतर्निहित हिस्सा है और बीजिंग इसे ‘कभी स्वीकार नहीं करता और दृढ़ता से विरोध नहीं करता।’
चीन के क्षेत्रीय दावों को बार-बार खारिज कर रही भारत
बता दें कि भारत ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के क्षेत्रीय दावों को बार-बार खारिज किया है और कहा है कि राज्य देश का अभिन्न अंग है। नई दिल्ली ने क्षेत्र को ‘मनगढ़ंत’ नाम देने के बीजिंग के कदम को भी खारिज कर दिया है और कहा है कि इससे वास्तविकता में कोई बदलाव नहीं आया है।
9 मार्च को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनी सेला सुरंग को राष्ट्र को समर्पित किया था। यह रणनीतिक रूप से स्थित तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और सीमांत क्षेत्र में सैनिकों की बेहतर आवाजाही सुनिश्चित करने की उम्मीद है। चीन, अरुणाचल प्रदेश को नियमित रूप से भारतीय नेताओं के राज्य के दौरों पर आपत्ति जताता है। यहां तक की बीजिंग ने इस क्षेत्र का नाम भी जांगनान रखा है।