आज पूरी दुनिया पर ‘मोदी मैजिक’ छाया हुआ है। भारत क प्रधानमंत्री ने भारत को दुनिया के एक ऐसे देश के रूप में खड़ा कर दिया है कि आज हर विकसित देश भारत की बात गौर से सुनता है, बल्कि भारत से जुड़े विषयों पर हमारे मत का समर्थन करता है। अमेरिका की संसद में जो हुआ है वह अभूतपूर्व है। वहां की सीनेटर जेफ मर्कले ने कहा कि संसदीय कमेटी ने यह प्रस्ताव पारित किया है कि ‘अरुणाचल प्रदेश को अमेरिका भारत का अभिन्न हिस्सा मानता है, वह इसे चीन का हिस्सा नहीं मानता’। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी अभी हाल में अमेरिका यात्रा पर गए थे और वहां उन्होंने एक वैश्विक नेता की अपनी छवि से सबको हैरत में डाल दिया था। अमेरिका की संसदीय समिति द्वारा अरुणाचल प्रदेश के संदर्भ में पारित उक्त प्रस्ताव को सीनेटर जेफ मर्कले, बिल हेगर्टी, टिम काइन तथा क्रिस वान होलेन ने प्रस्तुत किया था।
ध्यान देने की बात है कि चीन एक लंबे वक्त से भारत के अंग अरुणाचल पर झूठा दावा जताता आ रहा है। इतना ही नहीं, वह अरुणाचल और लद्दाख में भारत की सीमाओं पर घुसपैठ करता आ रहा था, जिसमें पिछले नौ साल में उल्लेखनीय कमी आई है। पीछे कुछ खबरें आई थीं कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया है। चीन उन इलाकों को ‘अपना हिस्सा’ बताता है। लेकिन अब इस प्रस्ताव के अमेरिका द्वारा पारित होने के बाद यह पुख्ता तौर पर साबित हुआ है भारत का पक्ष सही है और चीन झूठे विमर्श फैला कर पड़ोसी देशों की जमीन कब्जाने की अपनी चाल चल रहा है।
भारत के लिए यह बड़े महत्व की बात है कि अमेरिकी संसद की सीनेट कमेटी अरुणाचल प्रदेश पर इस पर भारत के पक्ष का दृढ़ता के साथ समर्थन कर रही है। अरुणाचल प्रदेश को भारत के अभिन्न अंग के रूप में देखती है और इसे ठोस आधार प्रदान करने के लिए उसने यह प्रस्ताव पारित किया है। सीनेट कमेटी में कल जब यह प्रस्ताव सीनेटर जेफ मर्कले, बिल हेगर्टी, टिम काइन और क्रिस वान होलेन ने प्रस्तुत किया तो अनेक सदस्य पहले से इसके पक्ष में नजर आए। पारित हुए इस प्रस्ताव में स्पष्ट उल्लेखन है कि संयुक्त राज्य अमेरिका मॅकमोहन लाइन को भारत और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा की मान्यता देता है।
प्रस्ताव के बारे में संसदीय कार्यकारी आयोग के सहायक अध्यक्ष सांसद जेफ मर्कले का कहना था कि अमेरिका विश्व में स्वतंत्रता तथा कानून आधारित व्यवस्था का समर्थक है। यह प्रस्ताव स्पष्ट करता है कि अरुणाचल प्रदेश को अमेरिका भारत का ही अभिन्न अंग मानता है, न कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का। इस मुद्दे पर सह प्रस्तावक सांसद हेगर्टी का कहना था कि ऐसे वक्त में जब चीन स्वतंत्र तथा खुले हिंद-प्रशांत इलाके को गंभीर खतरे पैदा कर रहा है, अमेरिका के लिए इस क्षेत्र में अपने रणनीतिक साझेदारों, खासतौर पर भारत सहित अन्य क्वाड के सदस्य देशों के साथ एकजुट होकर खड़ा होना बहुत जरूरी है। इतना ही नहीं, विस्तारवादी चीन की ऐसी रणनीति के विरुद्ध प्रभावी उपाय करने जरूरी हैं, जो उस कम्युनिस्ट देश ने दक्षिण तथा पूर्वी चीन सागर, हिमालयी क्षेत्र तथा दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में अपना रखी है।
वहीं सांसद कॉर्निन का कहना था भारत तथा चीन के बीच उन देशों की सटी हुई सीमा को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। इन परिस्थितियों में अमेरिका का स्वतंत्र तथा खुले हिन्द—प्रशांत क्षेत्र को अपना समर्थन देकर लोकतंत्र को बचाने के लिए पूरी ताकत के साथ आगे आना जरूरी है। इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद अब अमेरिका मानता है कि मॅकमोहन रेखा ही भारत और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा है। चीनी फौज इस अंतरराष्ट्रीय सीमा के ‘स्टेटस को’ में बदलाव करने की कोशिशें करती आ रही है। यही साजिश है जिसके तहत चीन की सेना भारत से सटी सीमाओं पर सैन्य ढांचे और रिहायशी गांव बना रही है। इतना ही नहीं, चीन ने मंदारिन में जो नया नक्शा जारी किया है, उसमें भारत के अभिन्न अंग अरुणाचल प्रदेश को धूर्ततापूर्वक अपना हिस्सा दिखाया है।