असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि बाल विवाह पर अंकुश लगाने के उनके राज्य सरकार के मिशन से न केवल सामाजिक परिवर्तन आया है, बल्कि बालिकाओं के लिए स्वस्थ जीवन भी सुनिश्चित हुआ है।
बिस्वा ने कहा कि अप्रैल 2022 में राज्य में किशोर गर्भावस्था के मामले 9330 दर्ज किए गए थे, जो जून 2024 में घटकर 3401 हो गए हैं।
बाल विवाह के खिलाफ हमारा मिशन जारी रहेगा- असम CM
मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, बाल विवाह के खिलाफ हमारा कठोर मिशन न केवल सामाजिक परिवर्तन ला रहा है, बल्कि हमारी लड़कियों के लिए एक स्वस्थ जीवन भी सक्षम कर रहा है। अप्रैल 2022 में किशोर गर्भावस्था: 9,330 थी और जून 2024 में किशोर गर्भावस्था: 3,401 है। उन्होंने कहा कि हमारा मिशन आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा।
इससे पहले गुरुवार को असम सरकार ने बाल विवाह को रोकने तथा विवाह और तलाक पंजीकरण में समानता सुनिश्चित करने के लिए असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त करने का निर्णय लिया।
कुछ विधेयकों किया गया निरस्त- सरमा
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मुख्यमंत्री ने लिखा, हमने बाल विवाह के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करके अपनी बेटियों और बहनों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आज असम कैबिनेट की बैठक में हमने असम निरसन विधेयक 2024 के जरिए असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियम 1935 को निरस्त करने का फैसला किया है।
निरस्तीकरण के निर्णय के पीछे उद्देश्य बताते हुए, सीएम ने कहा, विवाह और तलाक के पंजीकरण में समानता लाने के लिए, राज्य मंत्रिमंडल ने असम निरसन विधेयक, 2024 को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 और असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण नियम, 1935 को निरस्त करना है। इस विधेयक को असम विधानसभा के अगले मानसून सत्र में विचार के लिए रखा जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल ने यह भी निर्देश दिया है कि असम में मुस्लिम विवाहों के पंजीकरण के लिए एक उपयुक्त कानून लाया जाए, जिस पर विधानसभा के अगले सत्र में विचार किया जाएगा।
अवैध अप्रवासी कर रहे आदिवासी लड़कियों से शादी
इससे पहले बुधवार को सीएम सरमा ने “बदलती जनसांख्यिकी” (changing demography) के मुद्दे पर अपनी चिंताओं को दोहराया और कहा कि यह उनके लिए “जीवन और मृत्यु” का मामला है। कुछ आंकड़ों का हवाला देते हुए सरमा ने कहा कि 1951 में मुस्लिम आबादी 12 प्रतिशत थी और अब 40 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि अवैध अप्रवासी आदिवासी लड़कियों से शादी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अवैध अप्रवासी आदिवासी बेटियों से शादी कर रहे हैं, लेकिन कानून का पालन नहीं हो रहा है।