असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को दावा किया कि असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 के तहत तलाक लेने वाली महिलाएं गुजारा भत्ते की हकदार नहीं हैं। अधिनियम को निरस्त करने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले के बाद मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार समाप्त हो जाएगा और वे अदालत के आदेश के अनुसार गुजारा भत्ता प्राप्त कर सकेंगी।
सरमा ने कहा कि अधिनियम के तहत काजी को शादी को पंजीकृत करने का अधिकार था और वह तलाक भी दिला सकता था। हालांकि अब काजी तलाक की अनुमति देता है तो महिला को कुछ नहीं मिलता है लेकिन यदि कोर्ट तलाक की अनुमति देती है तो तो पूर्व पति को महिला को गुजारा भत्ता देना होगा।
माताओं पर हो रहा अत्याचार अब बंद होगा- सीएम
उन्होंने अधिनियम को रद्द करने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी माताओं पर हो रहा अत्याचार अब बंद हो जाएगा। सरमा ने कहा कि यह कानून खत्म होने पर तलाक मुश्किल हो जाएगा और कम उम्र की लड़कियों के विवाह का पंजीकरण नहीं हो सकेगा।
‘असम में 14 में से 11 सीटों पर जीतेगी भाजपा’
मुख्यमंत्री सरमा ने मंगलवार को विश्वास जताया कि आगामी चुनाव में भाजपा 14 लोकसभा सीटों में से 11 पर जीतेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी राज्य में 12वीं सीट सुरक्षित करने का प्रयास करेगी। माजुली में आयोजित कार्यक्रम से इतर सरमा ने कहा कि मैं उम्मीदवारों के नाम जानने का इच्छुक नहीं हूं। लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए मतदान करेंगे।
कांग्रेस के साथ चंद मुस्लिम विधायक ही रह जाएंगे
वहीं बिश्वनाथ जिले में सरमा ने टिप्पणी की कि 2026 के विधानसभा चुनाव आने तक कांग्रेस में विधायक रकीबुल हुसैन, रेकीबुद्दीन अहमद, जाकिर हुसैन सिकंदर, नुरुल हुदा जैसे चंद मुस्लिम विधायक ही रह जाएंगे। हाल ही में कार्यकारी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले कांग्रेस नेता राणा गोस्वामी के भाजपा में शामिल होने के सवाल पर सरमा ने कहा कि वह कांग्रेस के शक्तिशाली नेता हैं और भाजपा में शामिल होने पर मैं उनका स्वागत करूंगा।
विपक्षी दलों ने क्या कहा?
अधिनियम को निरस्त करने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले के विरोध में विपक्षी दलों कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने सोमवार (26 फरवरी, 2024) को असम विधानसभा से वॉकआउट कर दिया. एआईयूडीएफ ने मंत्रिमंडल के फैसले पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया था, जिसे विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने खारिज कर दिया.
कांग्रेस ने कहा कि मूल विधेयक को पूरी तरह रद्द किए बिना इसमें संशोधन किए जा सकते थे. मुख्यमंत्री सरमा ने विपक्षी दलों की आलोचना का जवाब देते हुए सदन में कहा कि विधेयक को रद्द कर दिया जाएगा और यह बाल विवाह को समाप्त करने की दिशा में उठाया गया कदम है.