असम में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन सहित 30 से अधिक समूहों ने प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. AASU के अध्यक्ष उत्पल शर्मा ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के असम दौरे के दौरान नौ मार्च को सभी जिलों में 12 घंटे की भूख हड़ताल सहित आंदोलन किया जाएगा. उत्पल शर्मा ने कहा कि सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई मामले चल रहे हैं
30 स्वदेशी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में AASU के अध्यक्ष उत्पल शर्मा ने कहा कि सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई मामले चल रहे हैं और ऐसे में इसे लागू करने की घोषणा करना लोगों के साथ घोर अन्याय है. उन्होंने कहा, “असम के लोगों ने कभी भी सीएए को स्वीकार नहीं किया है और अगर इसे लागू किया जाता है तो, इस ओर बढ़ाए गए हर कदम का विरोध करेंगे, उन्होंने कहा कि, कानूनी लड़ाई के साथ-साथ हम केंद्र के फैसले के खिलाफ लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण आआंदोलन जारी रखेंगे,”
निकाला जाएगा मशाल जुलूस
उत्पल शर्मा ने कहा कि सीएए विरोधी आदोलन 4 मार्च को हर जिला मुख्यालय में मोटरसाइकिल रैलियों के साथ शुरू होगा और एक मशाल जुलूस भी निकाला जाएगा. उन्होंने कहा, हम इसके खिलाफ हर जिला मुख्यालय में मशाल जुलूस निकालेंगे और राज्य भर में आंदोलन भी करेंगे, शर्मा ने कहा, जब प्रधानमंत्री 8 मार्च को असम आएंगे, तो AASU और 30 अन्य समूह न पांच युवकों की तस्वीरों के समक्ष दीपक जलाएंगे जो 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की गोलीबारी में मारे गए थे.
‘आंदोलनकारियों से वसूला जाएगा पैसा’
विपक्षी गठबंधन इंडिया की तर्ज पर राज्य में गठित संयुक्त विपक्षी मंच असम (यूओएफए) ने बुधवार (28 फरवरी) को घोषणा की थी कि विवादास्पद अधिनियम लागू होने के अगले ही दिन राज्यव्यापी बंद बुलाया जाएगा. सोशल मीडिया मंच पर एक्स पर एक पोस्ट में, डीजीपी ने साल 2019 में बंद पर सुनाए गए गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश के दो पेज शेयर किए और जून 2022 के मुद्दे पर अपना बयान फिर से पोस्ट किया.
उन्होंने कहा ”कहने की जरूरत नहीं है कि असम की जीएसडीपी 5,65,401 करोड़ रुपये आंकी गई है. एक दिन के बंद से लगभग 1,643 करोड़ रुपये का नुकसान होगा, जो माननीय गुवाहाटी हाई कोर्ट के उपरोक्त आदेश के पैरा 35(9) के अनुसार ऐसे बंद का आह्वान करने वालों से वसूला जाएगा.”
अखिल गोगोई ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा
डीजीपी की पोस्ट पर प्रतिक्रिया जताते हुए राइजोर दल के प्रमुख और विधायक अखिल गोगोई ने कहा कि यदि सीएए नहीं लागू किया जाता है तो कोई समस्या नहीं होगी. उन्होंने कहा, ‘‘आप (केंद्र) एक दमनकारी कानून लाएंगे और अगर हम विरोध करते हैं तो हमें नुकसान के लिए दंडित किया जाएगा. इस नुकसान के लिए जिम्मेदार कौन होगा? बीजेपी या हम? वे 15-20 लाख बांग्लादेशियों को नागरिकता देने की योजना बना रहे हैं और हम विरोध तक नहीं कर सकते?’’
उन्होंने कहा, “यह डीजीपी कौन हैं? अगर वह राज्य को होने वाले वित्तीय नुकसान के बारे में इतने चिंतित हैं तो वह केंद्र से इस कानून को वापस लेने के लिए क्यों नहीं कहते?” गोगोई ने 2019 के हिंसक सीएए विरोधी आंदोलन में अपनी कथित भूमिका के लिए 567 दिन जेल में बिताए थे. बाद में एक विशेष एनआईए अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया था.
पीएम मोदी 8 मार्च को आ रहे हैं असम
प्रधानमंत्री 8 मार्च से असम की दो दिवसीय यात्रा पर होंगे, इस दौरान वह काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में जंगल सफारी करेंगे, 17वीं सदी के अहोम सेना कमांडर लाचित बोरफुकन की 125 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करेंगे और शिवसागर मेडिकल कॉलेज की आधारशिला रखेंगे और 5.5 लाख प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) से बने परों का उद्घाटन करेंगे.
बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहले ही अपने भाषणों में CAA के ऐलान की बात कह चुके हैं. उन्होंने, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) पर कहा कि 2019 में कानून पारित हुआ था. इस संबंध में नियम जारी करने के बाद लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा, शाह ने कहा, ‘सीएए देश का कानून है, इसका नोटिफिकेशन निश्चित रूप से हो जाएगा, चुनाव से पहले ही सीएए को अमल में आना है इसमें किसी को कंफ्यूजन नहीं रखना है.
अमित शाह कर चुके हैं ऐलान
अमित शाह के इस ऐलान के बाद से कई राज्यों में हलचल है तो असम ने सीएए के खिलाफ फिर से प्रोटेस्ट करने का ऐलान कर दिया है. बता दें कि साल 2019 में जब CAA विरोधी प्रोटेस्ट हुए थे, तब इस दौरान देशभर में अराजक स्थिति उत्पन्न हो गई थी और जान-माल की हानि भी हुई थी. वहीं, असम में काफी उग्र प्रदर्शन हुए थे. इस प्रदर्शन के दौरान पांच युवकों की मौत हो गई थी. अब एक बार फिर असम के संगठनों ने CAA के विरोध में प्रोटेस्ट का ऐलान किया है..
असम के कई जिलों में किया जा चुका है प्रदर्शन
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले हिंदुओं, जैन, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों और पारसियों को यहां पांच साल रहने के बाद भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है.
इस बीच, कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) और सत्र मुक्ति संग्राम समिति (एसएमएसएस) के कार्यकर्ताओं ने गुवाहाटी और तिनसुकिया जैसे अपर असम के जिलों सहित कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया और अधिनियम को निरस्त करने की मांग की. केएमएसएस और एसएमएसएस राइजोर दल के सहयोगी संगठन हैं.