जून प्रतीक्षा में गुजरा, लेकिन जुलाई में बादल ऐसे बरस रहे कि नदियां तक उफना आई हैं। बिहार के उत्तरी परिक्षेत्र के लिए अभी बाढ़ की आशंका वाली स्थिति है। गंगा तो अभी धैर्य धारण किए हुए है, लेकिन कोसी और गंडक कई जगहों पर अपने पाटों को तोड़ आगे बहने-बढ़ने के लिए मचल उठी हैं।
बहरहाल, डुमरिया घाट में गंडक और बलतारा में कोसी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बूढ़ी गंडक, घाघरा और पुनपुन के जलस्तर में भी वृद्धि का क्रम जारी है। पानी तो गंगा का भी बढ़ रहा, लेकिन इसके कारण अभी बाढ़ की आशंका नहीं।
कैसा है 5 जिलों का हाल?
वाल्मीकिनगर बराज से छोड़े गए 1.24 लाख घन मीटर पानी के कारण गंडक के प्रवाह क्षेत्र में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों व इंजीनियरों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। तटबंधों की अनवरत निगरानी हो रही।
निचले इलाकों के निवासियों के लिए बाढ़ और मिट्टी के कटाव का खतरा काफी बढ़ गया है। उन्हें सतर्क रहने, स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करने और संभावित निकासी के लिए तैयार रहने का निर्देश है।
गोपालगंज में उफनती गंडक नदी
गोपालगंज के डुमरिया घाट में खतरे का स्तर 62.22 मीटर है। गंडक उससे तीन सौ सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गई है और उसके जलस्तर में वृद्धि का क्रम अनवरत जारी है।
कोसी के जलस्तर में आ रही कमी
खगड़िया के गोगरी प्रखंड अंतर्गत बलतारा में कोसी के जलस्तर में धीरे-धीरे कमी आ रही, लेकिन यह अब भी लाल निशान से ऊपर है। वहां खतरे का निशान 33.85 मीटर है, जबकि कोसी का जलस्तर अभी 34.18 मीटर तक है।
मुजफ्फरपुर जिला के बेनीबाद में बागमती का जलस्तर अभी 49.41 मीटर है। यह खतरे के स्तर (48.68 मीटर) से काफी ऊपर है।
सीतामढ़ी जिला के सुंदरपुर में अधवारा नदी भी खतरे के निशान (62.10 मीटर) से ऊपर (61.70 मीटर) बह रही है।