बिहार के बक्सर और सीवान में सामने आए धर्मांतरण के इस कथित रैकेट से कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं। यदि रिपोर्ट सही है, तो यह न केवल जमीन कब्जाने और ठगी का मामला है, बल्कि संगठित धर्मांतरण का भी संकेत देता है, जिसे बिहार सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए।
मामले के मुख्य बिंदु:
- हिन्दू विधवा की जमीन कब्जाने की कोशिश –
- पादरी सुनील कुमार महिला के घर में ईसाई प्रार्थनाएँ करवाता था।
- महिला से ₹2 लाख लेकर कर्ज के बहाने दबाव बना रहा था।
- धर्मांतरण का केंद्र बनाने के लिए घर पर कब्जा करने की कोशिश।
- महिलाओं को धर्मांतरण के लिए टार्गेट करना –
- ज़्यादातर महिलाओं को निशाना बनाकर ब्रेनवॉश किया जाता था।
- देवी-देवताओं की पूजा बंद करने और यीशु की आराधना करने के लिए कहा जाता था।
- नौकरी और कॉलेज एडमिशन का लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जाता था।
- गाँव में बढ़ता रोष और विरोध –
- ग्रामीणों का आरोप है कि हरिजन महिलाओं का धर्मांतरण करवाया गया।
- बजरंग दल के विरोध के बाद पादरी गायब हो गया।
- अभी तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई।
संभावित कानूनी पहलू और आवश्यक कदम:
✅ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम: यदि महिला की शिकायत सही है, तो यह जबरन धर्मांतरण के दायरे में आ सकता है।
✅ ठगी और ज़मीन कब्जाने का मामला: बिहार पुलिस को इस पर धोखाधड़ी और अतिक्रमण के तहत जाँच करनी चाहिए।
✅ गैर-कानूनी धर्मांतरण की रोकथाम: अन्य राज्यों की तरह बिहार सरकार को भी धर्मांतरण विरोधी कानून लाने पर विचार करना चाहिए।
क्या बिहार सरकार इस पर सख्त कदम उठाएगी?
बिहार में पहले भी कई जगहों पर धर्मांतरण को लेकर विवाद सामने आए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को इस मामले में सख्ती दिखानी होगी ताकि भविष्य में ऐसे रैकेट न पनप सकें।