बिहार के सरकारी स्कूलों में छुट्टियों को लेकर आया महागठबंधन सरकार के फरमान को मुस्लिम तुष्टिकरण के रूप में देखा जा रहा है, जिसके तहत हिन्दुओं की छुट्टियों में कटौती की गई थी और मुस्लिमों की छुट्टियों को बढ़ा दिया गया था। इस मामले में अब दूसरा कैलेंडर सामने आया है। उर्दू स्कूलों के लिए अलग कैलेंडर है जबकि गैर-उर्दू स्कूलों के लिए अलग। ऐसा पहली बार हुआ है। इससे पहले राज्य का शिक्षा विभाग दोनों के लिए एक ही कैलेंडर जारी किया करता था।
इस कैलेंडर में कम से कम वर्ष में 220 दिन के अध्यापन वाली बात कही गई है। इसे सन् 2024 के लिए जारी किया गया है। इसमें 27 छुट्टियाँ हैं – गुरु गोविंद सिंह जयंती, गणतंत्र दिवस, वसंत पंचमी, संत रविदास जयंती, शब-ए-बरात, महाशिवरात्रि, बिहार दिवस, होली, गुड फ्राइडे, ईद-उल-फितर, भीमराव आंबेडकर जयंती, 1 महीने का ग्रीष्मकालीन अवकाश, जानकी नवमी, बुध पूर्णिमा, ईद-उल-जोहा, कबीर जयंती, मुहर्रम, स्वतंत्रता दिवस, चेहल्लुम, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, हजरत मुहम्मद जयंती, दुर्गा पूजा (3 दिन की 2 छुट्टियाँ), दीपावली, चित्रगुप्त पूजा, छठ, क्रिसमस।
उर्दू स्कूलों के लिए ईद का 3 दिन का अवकाश रखा गया है, जबकि गैर-उर्दू स्कूलों के लिए 1 दिन का। बकरीद पर भी ऐसा ही किया गया है। उर्दू स्कूलों में महाशिवरात्रि, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और जानकी नवमी की छुट्टी नहीं होगी। जबकि चेहल्लुम की छुट्टी दोनों में एक दिन की रहेगी। दोनों में 60-60 दिन की छुट्टी साल में रखी गई है। मुहर्रम पर उर्दू स्कूलों में 2 दिन की छुट्टी होगी जबकि गैर-उर्दू स्कूलों में 1 दिन की। गैर-उर्दू स्कूलों में भी रक्षाबंधन, तीज और जितिया की कोई छुट्टी नहीं होगी।
केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने तो ये तक सलाह दे दी थी कि अब नीतीश कुमार और लालू यादव को अपने नाम में ‘मोहम्मद’ लगा लेना चाहिए। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा था कि शिक्षा विभाग विवाद पर स्पष्टीकरण देगा। राज्य के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने भी माना है कि परंपरा का पालन किया जाना चाहिए और छुट्टियों वाला कैलेंडर गलत है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संज्ञान में आते ही इसमें सुधार किया जाएगा, ऐसा एक बार और हुआ था।
बता दें कि इससे पहले सितंबर में छुट्टियों में कटौती कर 23 से 11 कर दिया गया था, लेकिन विरोध के बाद इसे वापस लेना पड़ा था। अब नए कैलेंडर की सरकारी स्तर पर फिर से समीक्षा की बात कही जा रही है। राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने भी इसे तुगलकी फरमान करार दिया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा – “तुष्टिकरण के सरदार, बिहार के कुर्सी कुमार।” जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी माना है कि रक्षाबंधन की छुट्टी न दिया जाना गलत है।