NATHEALTH (नेशनल एसोसिएशन ऑफ टास्क फोर्स ऑन हेल्थकेयर) ने आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 के लिए स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण मांगें और सिफारिशें प्रस्तुत की हैं। ये सिफारिशें भारत की बढ़ती आबादी की जरूरतों और स्वास्थ्य क्षेत्र की मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए की गई हैं।
NATHEALTH की प्रमुख सिफारिशें:
- स्वास्थ्य बजट में वृद्धि:
- हेल्थकेयर के लिए बजटीय आवंटन को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 2.5% से अधिक करने की मांग।
- भारत वर्तमान में स्वास्थ्य पर GDP का लगभग 1.5% खर्च करता है, जो अन्य विकासशील देशों की तुलना में कम है।
- चिकित्सकीय विशेषज्ञों की कमी को दूर करना:
- स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रशिक्षित डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी को भरने के लिए ठोस कदम।
- मेडिकल कॉलेजों और प्रशिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता।
- कैंसर और गंभीर बीमारियों का उपचार:
- कैंसर और अन्य दीर्घकालिक बीमारियों के इलाज की लागत कम करने के लिए वित्तीय समर्थन और तकनीकी निवेश।
- इन बीमारियों से निपटने के लिए अनुसंधान और उन्नत उपचार तकनीकों को बढ़ावा देना।
- अस्पताल इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार:
- सार्वजनिक अस्पतालों की संख्या और उनकी गुणवत्ता में वृद्धि।
- ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHCs) का आधुनिकीकरण।
- संचारी और गैर-संचारी रोगों का समाधान:
- संचारी रोगों (जैसे मलेरिया, डेंगू) और गैर-संचारी रोगों (जैसे मधुमेह, हृदय रोग) के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए दीर्घकालिक योजनाएँ।
- निवारक स्वास्थ्य देखभाल और जागरूकता अभियानों को प्राथमिकता।
- डिजिटल हेल्थ और नवाचार:
- आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए अतिरिक्त वित्तीय प्रोत्साहन।
- स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, टेलीमेडिसिन, और मोबाइल हेल्थ टेक्नोलॉजी का उपयोग।
- स्वास्थ्य बीमा में सुधार:
- स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का दायरा बढ़ाना और गरीब व मध्यम वर्ग के लिए बीमा को और किफायती बनाना।
- आयुष्मान भारत योजना के तहत और अधिक लाभार्थियों को जोड़ने की आवश्यकता।
दीर्घकालिक चुनौतियाँ:
- बढ़ती आबादी और रोगों का बोझ: जनसंख्या वृद्धि के साथ स्वास्थ्य सेवाओं की मांग तेजी से बढ़ रही है।
- प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की अपर्याप्त उपलब्धता।
- वित्तीय असमानता: स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच में आर्थिक और सामाजिक बाधाएँ।
NATHEALTH की अपेक्षाएँ:
इन सिफारिशों का उद्देश्य भारत के हेल्थकेयर सिस्टम को मजबूत करना है ताकि यह न केवल मौजूदा चुनौतियों का सामना कर सके, बल्कि भविष्य की स्वास्थ्य आपदाओं के लिए भी तैयार हो। आगामी बजट में इन मुद्दों पर ध्यान देना भारत को यूनिवर्सल हेल्थकेयर के लक्ष्य के करीब ले जा सकता है।
इन मुद्दों पर हो काम
एनएटीएएचएलटीएच के अध्यक्ष अभय सोई ने बयान में कहा,‘‘आगामी केन्द्रीय बजट चिकित्सकीय विशेषज्ञों की भारी कमी, कैंसर देखभाल की बढ़ती लागत और बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हॉस्पिटल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी प्रणालीगत कमियों को दूर करने का अभूतपूर्व अवसर प्रदान करता है।’’मैक्स हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सोई ने कहा,‘‘अस्पताल की क्षमता का विस्तार, व्यवहार्य प्रतिपूर्ति ढांचे, उपचार लागत में कमी, चिकित्सकीय शिक्षा को आगे बढ़ाना न केवल वर्तमान चुनौतियों का समाधान करेगा, बल्कि ग्लोबल हेल्थकेयर लीडर के रूप में भारत की स्थिति को भी सुरक्षित करेगा। ये प्रयास सभी के लिए एक स्वस्थ और अधिक टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करेंगे।’’
सीमा शुल्क को घटाया जाए
उन्होंने कहा कि भारत का हेल्थकेयर सेक्टर एक निर्णायक चौराहे पर खड़ा है, जो जटिल चुनौतियां तथा परिवर्तनकारी अवसर दोनों प्रस्तुत कर रहा है। एनएटीएएचएलटीएच ने कहा कि कैंसर के इलाज की लागत को कम करने के लिए, एलआईएनएसीएस जैसे‘ऑन्कोलॉजी’विकिरण उपकरणों पर सीमा शुल्क को हटाने और जीएसटी को घटाकर पांच प्रतिशत करने की आवश्यकता है, ताकि वंचित क्षेत्रों में कैंसर उपचार क्षमता का विस्तार किया जा सके। स्वास्थ्य निकाय ने सरकार से स्वास्थ्य सेवा उपकर तथा तंबाकू व चीनी उत्पादों पर प्रस्तावित 35 प्रतिशत जीएसटी से प्राप्त आय को सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को मजबूत करने के लिए आवंटित करने का भी सुझाव दिया।