कई रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बात GDP ग्रोथ में कमी आने के आसार है। ऐसे में खबर आ रही हैं कि बैंक लोन में भी कमी आ सकती है। घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने मंगलवार को कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में बैंकिंग सिस्टम में लोन वृद्धि 2 प्रतिशत अंक घटकर 14 प्रतिशत रह जाएगी।
एजेंसी ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी की वृद्धि दर 6.8 फीसदी कम होने के कारण मंदी आएगी, जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह दर 7.6 फीसदी थी। इसके लिए आरबीआई ने अन-सिक्योर्ड लोन पर उच्च जोखिम भार और हाई बेस जैसे उपाय किए हैं।
जीडीपी ग्रोथ में हो सकती है कमी
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि इस वर्ष जीडीपी ग्रोथ पिछले वर्ष की तुलना में कम रह सकती है, जिसका असर बैंक डिपॉजिट पर भी दिख सकता है और उसकी गति धीमी रह सकती है। इस वजह से बैंक क्रेडिट ग्रोथ की गति में भी कम रह सकती है। इसके साथ ही एजेंसी ने स्वीकार किया कि पिछले वर्ष के दौरान डिपॉजिट और क्रेडिट के बीच का अंतर कम हो गया है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अगर एचडीएफसी विलय के प्रभाव को छोड़ दें तो वित्तीय वर्ष 2024-25 में बैंक लोन में 16 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। इसके लिए मजबूत आर्थिक गतिविधि और हाई रिटेल डिमांड को जिम्मेदार ठहराया।
एजेंसी ने कहा कि यह राजकोषीय वृद्धि( Fiscal Growth) हाई बेस ग्रोथ, जोखिम भार में संशोधन और कुछ हद तक कम जीडीपी वृद्धि से नियंत्रित होगी।
कॉरपोरेट सेक्टर में 13 प्रतिशत रहने का अनुमान
इसमें कहा गया है कि कॉरपोरेट खंड वित्त वर्ष 2025 में 13 प्रतिशत की वृद्धि बनाए रखने का अनुमान है, जो कुल ऋण का 45 प्रतिशत हिस्सा है। वहीं वित्त वर्ष 24 में रिटेल ग्रोथ 17 प्रतिशत से घटकर 16 प्रतिशत हो जाएगा।
रिटेल बैंकों के लिए सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र बना रहेगा, लेकिन अनसिक्योर्ड कंज्यूमर लोन (रिटेल लोन का 25 प्रतिशत) में अपेक्षाकृत कम बढ़ोतरी दिख सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बैंक RBI के 25 प्रतिशत अंक जोखिम भार की नियामक शर्त के बाद खुद को समायोजित कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि असुरक्षित उपभोक्ता ऋण पर अपेक्षाकृत अधिक लाभ होने से खुदरा विकास में गिरावट सीमित रहेगी। कॉर्पोरेट मोर्चे पर स्टील, सीमेंट और फार्मास्यूटिकल्स कैपेक्स रिकवरी का नेतृत्व करेंगे।
इसके साथ ही सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) खंड में वृद्धि (कुल ऋण का 16 प्रतिशत) वित्त वर्ष 24 में 19 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत होने का अनुमान है। इसके साथ ही एग्रीकल्चर क्रेडिट मानसून के रुझान से जुड़ी रहेगी, लेकिन मजबूत वित्तीय वर्ष 2024 के कारण इसमें नरमी देखी जानी चाहिए।