भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार 11वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है, जिससे यह 6.5% पर स्थिर बना हुआ है। इसका मुख्य कारण खुदरा मुद्रास्फीति पर नियंत्रण बनाए रखना है। यह फैसला आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की द्विमासिक बैठक में लिया गया, जिसमें गवर्नर शक्तिकांत दास सहित छह सदस्य शामिल होते हैं।
#WATCH | Mumbai | RBI Governor Shaktikanta Das says, "The Monetary Policy Committee decided by a majority of 4:2 to keep the policy repo rate unchanged at 6.5%…"
(Source: RBI) pic.twitter.com/oteBt4FLlQ
— ANI (@ANI) December 6, 2024
मुख्य बिंदु:
- रेपो रेट: 6.5% पर स्थिर रखा गया, जिससे सस्ते लोन और EMI में कमी की उम्मीदों को झटका लगा है।
- मुद्रास्फीति नियंत्रण: आरबीआई का लक्ष्य खुदरा मुद्रास्फीति को 4% के आसपास (दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ) बनाए रखना है।
- एमपीसी का निर्णय: समिति के छह में से चार सदस्य रेपो रेट में बदलाव के पक्ष में नहीं थे।
- प्रभाव: रेपो रेट में स्थिरता से मौजूदा लोन और EMI दरें जस की तस बनी रहेंगी। सस्ते लोन की उम्मीद अब फरवरी 2024 तक टल गई है।
- पिछला बदलाव: फरवरी 2023 में रेपो रेट 6.5% पर लाया गया था और तब से इसे बदला नहीं गया है।
मौजूदा स्थिति और असर:
- उधार लेने वालों पर प्रभाव: ईएमआई और लोन दरें कम नहीं होने से गृह और वाहन ऋण लेने वालों को राहत नहीं मिलेगी।
- मुद्रास्फीति का दबाव: हालांकि मुद्रास्फीति हाल के महीनों में नियंत्रित हुई है, लेकिन बढ़ती कीमतों का दबाव अभी भी बना हुआ है, जिससे आरबीआई कोई जोखिम नहीं लेना चाहता।
#WATCH | Mumbai | RBI Governor Shaktikanta Das says, "The Standing Deposit Facility (SDF) rate remains at 6.25% and the Marginal Standing Facility (MSF) rate and the Bank Rate at 6.75%…"
(Source: RBI) pic.twitter.com/hg2GS9dQh5
— ANI (@ANI) December 6, 2024
आरबीआई के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति पर नियंत्रण को प्राथमिकता दी है, जबकि आर्थिक विकास के लिए दीर्घकालिक स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
CRR में 0.50% की कटौती
आरबीआई ने बैंकों में लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए CRR में 0.50% की कटौती की है। आरबीआई ने कैश रिजर्व रेश्यो यानी नकद आरक्षी अनुपात को 4.5% से घटाकर 4% कर दिया है। आरबीआई के इस फैसले से बैंकिंग सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ की लिक्विडिटी बढ़ेगी। आबीआई के इस फैसले से बैंक के पास कर्ज देने के लिए ज्यादा पैसा होगा। इसका इस्तेमाल वो आसानी से लोन देने में करेंगे।
#WATCH | Mumbai: RBI Governor Shaktikanta Das says, "Growth in real GDP in the second quarter of this year at 5.4% turned out to be much lower than anticipated. This decline in growth was led by a substantial deceleration in industrial growth from 7.4% in the first quarter to… pic.twitter.com/GSLXU6c7gX
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महंगाई से कब मिलेगी राहत
बढ़ी महंगाई से राहत का इंतजार कर रहे लोगों के लिए अच्छी खबर है। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकान्त दास ने अपनी मौद्रिक पॉलिसी का ऐलान करते हुए कहा कि जनवरी से मार्च में महंगाई घटने का अनुमान है। हालांकि, आरबीआई ने महंगाई के अनुमान को बढ़ा दिया है।
महंगाई का जीडीपी ग्रोथ पर असर
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आसमान छूती महंगाई से देश की जीडीपी ग्रोथ पर बुरा असर हुआ है। इसके चलते दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ अनुमान से काफी कम रहा। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुस्ती से जीडीपी की रफ्तार धीमी हुई।
वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी अनुमान घटाया
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी का अनुमान 7.2% से घटाकर 6.6% रहने का अनुमान लगाया है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी का अनुमान 6.9% कर दिया है।
फेस्टिव मांग में सुधार दिखा
गर्वनर दास ने कहा कि फेस्टिव सीजन और ग्रामीण मांग में सुधार दिखा है। यह इंडियन इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर है। उन्होंने आगे कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर में लिक्विडिटी की कोई कम नहीं है।