HDFC बैंक ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत का नंबर वन प्राइवेट सेक्टर बैंक और भारत की नंबर वन होम लोन कंपनी के मर्जर के साथ हम दुनिया के लीडिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन में शामिल हो गए हैं। इस अवसर पर हम उन लोगों की सेवा करने के लिए खुद को फिर से समर्पित करते हैं, जिन्होंने इस मील के पत्थर को संभव बनाया है- आप, हमारे ग्राहक।’
India’s No. 1 Private Sector Bank & India’s No. 1 Home Loans Company have merged to join the ranks of the world’s leading financial institutions.
On this momentous occasion, we rededicate ourselves to serve those who made this milestone possible – You, our Customer.#HDFCBank… pic.twitter.com/0IUzP9L2Oc
— HDFC Bank (@HDFC_Bank) July 1, 2023
4 अप्रैल 2022 को मर्जर की हुई थी घोषणा
HDFC और HDFC बैंक ने 4 अप्रैल 2022 को मर्जर की घोषणा की थी। मर्जर का मकसद HDFC बैंक की ज्यादा से ज्यादा ब्रांचेज में हाउसिंग लोन उपलब्ध कराना है। उधर, मर्जर से पहले HDFC के वाइस चेयरमैन और CEO केकी मिस्त्री ने बताया था कि HDFC के शेयर की डीलिस्टिंग 13 जुलाई से इफेक्टिव हो जाएगी। यानी इस तारीख से हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज से हट जाएंगे। संयुक्त कंपनी के शेयर 17 जुलाई से ट्रेड होंगे।
क्यों हुआ ये मर्जर?
कंपनी के अनुसार, सरकारी बैंकों और न्यू-एज फिनटेक कंपनियों से बढ़ते कॉम्पिटिशन के बीच इस मर्जर की जरूरत पहले से महसूस की जा रही थी। मैनेजमेंट ने इस बात पर दांव लगाया है कि विलय से बनने वाली सिंगल यूनिट की बैलेंस शीट बहुत बड़ी होगी, जिससे बाजार में होड़ करने का दमखम बढ़ेगा।
यह विलय HDFC लिमिटेड के लिए ज्यादा प्रॉफिटेबल हो सकता है, क्योंकि इसका बिजनेस कम प्रॉफिटेबल है। HDFC बैंक के लिहाज से देखें तो इस विलय से यह अपना लोन पोर्टफोलियो मजबूत कर सकेगा। यह ज्यादा लोगों को अपने प्रोडक्ट्स ऑफर कर सकेगा।
ये बराबरी का विलय
HDFC लिमिटेड के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा था कि यह बराबरी का विलय है। हमारा मानना है कि RERA के लागू होने, हाउसिंग सेक्टर को इन्फ्रास्ट्रक्चर का दर्जा मिलने, अफोर्डेबल हाउसिंग को लेकर सरकार की पहल जैसे तमाम दूसरी चीजों के कारण हाउसिंग फाइनेंस बिजनेस में बड़ी तेजी आएगी।
दीपक पारेख ने आगे कहा था कि पिछले कुछ साल में बैंकों और NBFC के कई रेगुलेशन बेहतर बनाए गए हैं। इससे विलय की संभावना बनी। इससे बड़ी बैलेंस शीट को बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर लोन के इंतजाम का मौका मिला। साथ ही इकोनॉमी की क्रेडिट ग्रोथ बढ़ी। अफोर्डेबल हाउसिंग को बढ़ावा मिला और कृषि सहित सभी प्रायोरिटी सेक्टर को पहले से ज्यादा कर्ज दिया गया।