मोदी सरकार देश में विकास कार्यों और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में पैसों की कमी ना पड़े, इसके लिए राज्य सरकारों को आगे से कर का हस्तांतरण सुनिश्चित करती है. साथ उसने कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए राज्यों को फंड देना भी शुरू किया है. इतना करने के बाद अब वित्त मंत्रालय इस पैसे के इस्तेमाल की कड़ी निगरानी कर रहा है. उसकी नजर है कि कहीं राज्य सरकारें इस फंड का उपयोग किसी और काम में तो नहीं लगा रहीं.
एक सीनियर ऑफिसर ने जानकारी दी है कि सरकार किसी भी हालत में इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रोडक्टिव स्पेंडिंग में कोताही नहीं बरतना चाहती. मोदी सरकार ने इस महीने की शुरुआत में ही कर हस्तांतरण (जून महीने के लिए) की तीसरी किस्त जारी की थी. राज्यों को 1,18,280 करोड़ रुपये का फंड दिया गया, जो हर महीने किए जाने वाले 59,140 करोड़ रुपये के कर हस्तांतरण का लगभग दोगुना है.
चुनावी राज्योंं को ब्याज मुक्त लोन
सोमवार को केंद्र सरकार ने 16 राज्यों को इंफ्रा डेवलपमेंट के लिए ब्याज मुक्त लोन देने पर सहमति दी. लंबी अवधि के इस लोन में केंद्र सरकार 56,415 करोड़ रुपये राज्यों को देगी. ये बजट में सभी राज्यों के लिए तय 1.3 लाख करोड़ रुपये के कैपिटल एक्सपेंडिचर का हिस्सा है.
अगले साल लोकसभा के आम चुनाव से पहले 2023 में ही चार अहम राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं. ये राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना हैं, सरकार के कुल कैपिटल एक्सपेंडिचर का 34 प्रतिशत इन्हीं राज्यों को आवंटित किया गया है.
राज्यों के पास नहीं होगा कोई बहाना
अधिकारी का कहना है कि अब राज्य सरकारों के पास डेवलपेमेंट पर खर्च नहीं बढ़ाने का कोई बहाना नहीं होगा. ज्यादा मात्रा में कर का हस्तांतरण करना और ब्याज मुक्त लोन मिलने से उनके पास इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य डेवलपमेंट पर खर्च करने के लिए पर्याप्त फंड है.
वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाले दो विभाग- आर्थिक मामलों का विभाग और व्यय विभाग राज्यों द्वारा इस पैसे के इस्तेमाल पर नजर रख रहे हैं. इस फंड के उपयोग को लेकर राज्यों के साथ नियमित तौर पर बातचीत चल रही है. वित्त मंत्री खुद इस फंड के खर्च की समीक्षा कर रही हैं.
मोदी सरकार ने कोविड के बाद देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने कके लिए पूंजीगत खर्च बढ़ाने पर फोकस करना शुरू किया था. चालू वित्त वर्ष के बजट में सरकार ने कैपिटल एक्सपेंडिचर पर कुल 10 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया है. जबकि राज्यों में इंफ्रा इत्यादि को बूस्ट करने के लिए केंद्र सरकार 50 साल के लिए 1.3 लाख करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त लोन राज्यों को देगी.