भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में लगातार दो कार्यकाल पूरा करने के बाद शक्तिकांत दास ने मंगलवार को पद छोड़ दिया। शक्तिकांत दास के पद छोड़ने के बाद संजय मल्होत्रा ने बुधवार, 11 दिसंबर से भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई के 26वें गवर्नर के रूप में पद संभाल लिया है। संजय मल्होत्रा आज आरबीआई हेडक्वार्टर पहुंचे, जहां उनका सीनियर अधिकारियों ने स्वागत किया। जिसके बाद संजय मल्होत्रा ने अगले 3 सालों के लिए केंद्रीय बैंक के गवर्नर का पद संभाला। इस मौके पर संजय मल्होत्रा के साथ डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे., एम राजेश्वर राव और टी. रबी शंकर भी मौजूद रहे।
संजय मल्होत्रा: एक अनुभवी प्रशासक
राजस्थान कैडर के 1990 बैच के आईएएस अधिकारी संजय मल्होत्रा पब्लिक पॉलिसी, प्रशासन और आर्थिक प्रबंधन में तीन दशक से अधिक अनुभव रखते हैं। उनके करियर का बड़ा हिस्सा पावर, फाइनेंस, और टैक्सेशन जैसे जटिल और अहम क्षेत्रों में बीता है। उन्होंने इन क्षेत्रों में सुधार और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।
प्रमुख अनुभव और योगदान:
- पावर सेक्टर में विशेषज्ञता:
उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र में नीतिगत सुधार और नई परियोजनाओं को लागू करने में योगदान दिया है। - वित्त और कराधान:
वित्तीय प्रबंधन, कराधान नीतियों और राजस्व सुधार के क्षेत्र में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। - नीति निर्माण:
उनकी रणनीतिक सोच और क्रियान्वयन क्षमता ने उन्हें जटिल नीतियों को लागू करने और सरकारी प्रक्रियाओं को प्रभावी बनाने में मदद की है।
आरबीआई गवर्नर के रूप में चुनौतियां:
संजय मल्होत्रा ऐसे समय में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का नेतृत्व कर रहे हैं, जब देश महंगाई और आर्थिक सुस्ती जैसी समस्याओं से जूझ रहा है।
- महंगाई का दबाव:
रोजमर्रा की जरूरतों की कीमतों में बढ़ोतरी ने आर्थिक संतुलन को चुनौती दी है। - आर्थिक विकास की सुस्ती:
वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के कारण आर्थिक विकास दर प्रभावित हो रही है। - वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना:
महंगाई को काबू में रखते हुए विकास और स्थिरता बनाए रखना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी होगी।
दूसरी तिमाही में सुस्त हुई जीडीपी ग्रोथ रेट
बताते चलें कि देश की जीडीपी ग्रोथ रेट जुलाई-सितंबर तिमाही में घटकर 5.4 प्रतिशत रही, जो 7 तिमाहियों का सबसे निचला स्तर है। इतना ही नहीं, अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर भी बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंची हुई है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि संजय मल्होत्रा की नेतृत्व में अगले साल फरवरी में होने वाली आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग में ब्याज दरों में कटौती की संभावना मजबूत हो गई है।
करीब दो साल से रेपो रेट में नहीं हुआ है कोई बदलाव
शक्तिकांत दास ने आरबीआई का गवर्नर रहते हुए करीब दो साल से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। महंगाई को काबू में रखने के लिए शक्तिकांत दास रेपो रेट में बदलाव नहीं कर रहे थे। सरकार ने आरबीआई को सीपीआई आधारित महंगाई दर को 2 प्रतिशत के उतार-चढ़ाव के साथ 4 प्रतिशत के अंदर रखने का लक्ष्य दिया है। हालांकि, ऐसा माना जा रहा है कि जीडीपी की ग्रोथ को देखते हुए महंगाई के बावजूद अगली बैठक में रेपो रेट में कटौती की जाएगी।