भारतीय सेना को तेजस और मिग जैसे विमान और ध्रुव जैसे हेलीकॉप्कर बनाकर देने वाली कंपनी हिंदुस्मान एयरोनॉटिक्स लिमिटिड कंपनी को 10 तिमाहियों यानी 30 महीने यानी ढाई साल के बाद प्रॉफिट में गिरावट देखने को मिली है. प्रॉफिट में गिरावट हाई इनपुट कॉस्ट और बढ़ते टैक्स खर्च की वजह से देखने को मिली है. 31 मार्च को समाप्त चौथी तिमाही में एचएएल का नेट प्रॉफिट लगभग 9 फीसदी गिरकर 28.31 बिलियन रुपये हो गया. कंपनी का रेवेन्यू 8 फीसदी बढ़कर 124.95 बिलियन रुपये हो गया, जिसमें 9 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. वास्तव में मटीरियल कॉस्ट 39 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है.
कंपनी ने यह भी कहा कि एक साल पहले टैक्स रिफंड से 5.28 अरब रुपये के बेनिफिट के मुकाबले इस तिमाही में उसे 124.7 मिलियन रुपये का टैक्स में खर्च हो गए. सरकारी एयरोस्पेस और डिफेंस फर्म, जिसके ग्राहकों में भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना शामिल हैं, ने कहा कि तिमाही में कंपनी का ऑर्डर बुक स्टेटस 817.84 बिलियन रुपये था. एचएएल एयरक्राफ्ट, हेलीकॉप्टर, एयरोइंजिन, एवियोनिक्स, कंपोनेंठ, एयरोस्पेस स्ट्रक्चर और इंडस्ट्रीयल मरीन गैस टर्बाइन सहित प्रोडक्ट्स के डिजाइन, विकास, निर्माण, मरम्मत आदि का काम करती है.
एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, भारत सरकार के पास वर्तमान में मार्च के अंत तक एचएएल में 71.65 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसने पिछले वित्तीय वर्ष में 28.67 बिलियन रुपये के डील में अपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेची थी. मार्च-तिमाही में कंपनी के शेयरों में 7.9 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. जबकि रिजल्ट के बाद कंपनी के शेयर एचएएल के शेयरों में 1.45 फीसदी की गिरावट आई है और 2974.50 रुपये पर बंद हुए हैं.