चंडीगढ़ मेयर चुनाव में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। इससे पहले यूटी की सियासत में रविवार देर रात धमाका हुआ। मेयर चुनाव में धांधली का आरोप लगाकर आम आदमी पार्टी सड़क और निगम के बाहर प्रदर्शन करती ही रह गई और भाजपा ने प्लान-बी तैयार कर खेल पलट दिया।
सुप्रीम कोर्ट से अगली सुनवाई के लिए मिला 13 दिन बाद का समय भी भाजपा के लिए संजीवनी साबित हुआ। इस अंतराल में भाजपा ने आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों को तोड़कर बड़ा उलटफेर कर दिया। इससे आप के कार्यकर्ता और नेता भी सकते में हैं। अब यह भी तय हो गया है कि मेयर चुनाव दोबारा होंगे। ऐसे में भाजपा आप से आईं वार्ड नंबर-19 की पार्षद नेहा को मेयर पद का उम्मीदवार बनाकर एक और दांव खेल सकती है। यही नहीं पाला बदलने वालीं वार्ड नंबर-16 की पार्षद पूनम को भी भाजपा कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे सकती है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि जोड़-तोड़ की राजनीति अभी खत्म नहीं हुई है। आम आदमी पार्टी का एक और पार्षद पाला बदल सकता है।
मेयर चुनाव विवाद के बाद आम आदमी पार्टी ने अपनी पूरी ताकत प्रदर्शन में लगा दी थी। दूसरी तरफ, भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख देखते ही प्लान-बी पर काम शुरू कर दिया। पार्टी ने कुछ वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी कि वह आम आदमी पार्टी के उन पार्षदों की पहचान करें जो किन्हीं कारणों से नाराज चल रहे हैं। इसके बाद से भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने विपक्षी पार्षदों के साथ संपर्क साधना शुरू कर दिया था।
ऐसा नहीं है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं को इसकी भनक नहीं थी लेकिन समय रहते उन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिसका खामियाजा अब भुगतना पड़ा है। तीन पार्षदों के जाने से पार्टी को बड़ा झटका लगा है। 30 जनवरी को सारा विवाद मेयर चुनाव की वजह से हुआ था इसलिए पार्टी हाईकमान के कहने पर नवनिर्वाचित मेयर मनोज सोनकर ने रविवार शाम को इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा मेयर चुनाव विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का रुख देखते हुए भी भाजपा यह मान कर चल रही थी कि दोबारा से चुनाव हो सकते हैं इसलिए भाजपा ने पहले ही आप के पार्षदों पर नजर रखनी शुरू कर दी थी।