छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित गाँव छुटवाही में आजादी के 78 साल बाद पहली बार बिजली पहुँचने की घटना विकास और सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। यह न केवल प्रशासनिक प्रयासों की सफलता को दर्शाता है, बल्कि नक्सल-प्रभावित क्षेत्रों में जीवन को सामान्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
मुख्य बिंदु:
- गाँव का भूगोल और चुनौती:
- छुटवाही गाँव बीजापुर जिले में स्थित है और मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर है।
- यह इलाका लंबे समय से नक्सलियों के कब्जे में था, जिससे विकास कार्य रुक गए थे।
- इस गाँव तक अभी सड़क नहीं बनी है, और इसे जोड़ने की योजना अगले साल तक पूरी होने की संभावना है।
- बिजली और अन्य सुविधाएँ:
- बिजली पहुँचाने के लिए इंजीनियरों और कर्मचारियों ने भारी सुरक्षा के बीच काम किया।
- “नियाद नेल्लनार योजना” के तहत अन्य बुनियादी सुविधाओं जैसे मोबाइल टावर, स्कूल, आँगनवाड़ी केंद्र, पीडीएस, और जल जीवन मिशन के तहत पानी की आपूर्ति की भी योजना बनाई गई है।
- प्रशासन का उद्देश्य इन सुविधाओं के माध्यम से ग्रामीणों को मुख्यधारा में जोड़ना है।
- सुरक्षाबलों की भूमिका:
- छुटवाही को नक्सलियों से मुक्त कराने के लिए सुरक्षाबलों ने बड़े अभियान चलाए और माओवादियों को खदेड़ने में सफलता प्राप्त की।
- गाँव में सुरक्षा शिविर की स्थापना से प्रशासन को क्षेत्र में प्रवेश करने और विकास कार्य करने में मदद मिली।
- नक्सल विरोधी अभियान की सफलता:
- इस साल छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों ने 210 माओवादियों को मार गिराया, जो राज्य के गठन के बाद की सबसे बड़ी सफलता है।
- बस्तर क्षेत्र में माओवादी हिंसा में सुरक्षाकर्मी और नागरिकों की हानि हुई, लेकिन सरकार के ठोस कदमों से माओवादी प्रभाव कम हो रहा है।
इस कदम का महत्व:
- विकास का प्रतीक:
- बिजली और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएँ क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए विकास की नई राहें खोलेंगी।
- गाँव के निवासियों के जीवनस्तर में सुधार होगा और शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
- नक्सलियों पर दबाव:
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों से माओवादियों का प्रभाव कम होगा, क्योंकि यह ग्रामीणों के लिए सरकार पर भरोसा बढ़ाने में मदद करेगा।
- भविष्य की योजनाएँ:
- बिजली और सड़क के अलावा अन्य योजनाओं को लागू करने से यह क्षेत्र राज्य और केंद्र सरकार की मुख्यधारा में शामिल हो सकेगा।
चुनौतियाँ और उपाय:
- चुनौतियाँ:
- सुरक्षा का खतरा अभी भी बना हुआ है।
- दूरदराज के इलाकों में निर्माण कार्य धीमा हो सकता है।
- उपाय:
- सुरक्षाबलों की निरंतर उपस्थिति और विकास योजनाओं की निगरानी सुनिश्चित करना।
- स्थानीय समुदाय को इन योजनाओं में शामिल कर प्रशासन और ग्रामीणों के बीच विश्वास बढ़ाना।
अधिकारी ने बताया कि बीजापुर के 100 से अधिक गाँवों में अभी भी बिजली कनेक्शन नहीं है। अधिकारी ने कहा कि जैसे-जैसे सुरक्षाबल आगे बढ़ेंगे और गाँवों को माओवादियों से मुक्त कराएँगे, वैसे-वैसे प्रशासन वहाँ के निवासियों को बिजली-सड़क सहित केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत अन्य लाभ प्रदान करने में समर्थ हो पाएगा।
बता दें कि इस साल छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों ने 210 माओवादियों को मार गिराया है। 1 नवंबर 2000 को राज्य के गठन के बाद से एक साल में माओवादियों को हुई ये सबसे बड़ी क्षति है। इस अवधि में राज्य के बस्तर क्षेत्र में माओवादी हिंसा में 17 सुरक्षाकर्मी और 62 नागरिक मारे गए हैं। बस्तर क्षेत्र में बीजापुर सहित सात जिले आते हैं।