छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘गजरथ यात्रा’ के रूप में एक सराहनीय और महत्वपूर्ण पहल शुरू की है, जिसका उद्देश्य है इंसानों और हाथियों के बीच बढ़ते टकराव को कम करना और सह-अस्तित्व की भावना को बढ़ावा देना। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस यात्रा की शुरुआत जशपुर के रणजीता स्टेडियम से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर की। उन्होंने इसे जनभागीदारी आधारित जागरूकता अभियान बताया, जो न केवल पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर सोच दर्शाता है, बल्कि स्थानीय समुदायों को वन्यजीव संरक्षण में भागीदार भी बनाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के कई इलाकों, जैसे सरगुजा, जशपुर, बलरामपुर, कोरिया और कोरबा, में हाथियों और इंसानों के बीच टकराव की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे अब तक सैकड़ों लोगों की जानें जा चुकी हैं, हजारों एकड़ फसलें नष्ट हुई हैं, और कई हाथी मारे जा चुके हैं। इसी गंभीर स्थिति से निपटने के लिए यह यात्रा शुरू की गई है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज जशपुर में ‘गजरथ यात्रा’ का हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ किया। यह अनूठी पहल मानव-हाथी द्वंद्व को कम करने एवं वन्यजीव संरक्षण के प्रति जनजागरूकता फैलाने के उद्देश्य से की गई है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर कहा — "मानव और हाथियों के बीच टकराव… pic.twitter.com/fX7645mCPn
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) June 21, 2025
‘गजरथ यात्रा’ के प्रमुख उद्देश्य:
- मानव-हाथी संघर्ष में कमी लाना – लोगों को यह सिखाना कि हाथियों के व्यवहार को कैसे समझा जाए और उनसे कैसे बचाव किया जाए।
- हाथियों व अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा – उन्हें नुकसान पहुँचाए बिना उनके साथ सुरक्षित सह-अस्तित्व कैसे संभव है।
- स्थानीय लोगों की सहभागिता – ग्राम पंचायतों, स्कूलों, हाट-बाजारों के माध्यम से जानकारी साझा करना और लोगों को इस अभियान में सहभागी बनाना।
- जैव विविधता का संरक्षण – राज्य की समृद्ध वन संपदा और वन्यजीवों की रक्षा करना।
क्या-क्या किया जा रहा है इस अभियान में:
- फिल्म और पुस्तक का विमोचन: हाथियों के व्यवहार और उनसे बचाव के तरीकों पर बनी लघु फिल्म और सूचनात्मक किताब का विमोचन किया गया है। ये सामग्रियाँ गांवों, स्कूलों और स्थानीय निकायों में वितरित की जाएंगी।
- वन विभाग के कर्मियों का सम्मान: इस दिशा में सराहनीय कार्य करने वाले वनकर्मियों को मुख्यमंत्री ने मंच पर सम्मानित किया।
- जागरूकता अभियान: यात्रा के जरिए ग्रामीण इलाकों में जाकर ‘हाथियों से कैसे बचें’ और ‘सह-अस्तित्व कैसे संभव है’ जैसे विषयों पर संवाद किया जाएगा।
समग्र महत्व:
‘गजरथ यात्रा’ न केवल छत्तीसगढ़ जैसे वन्यजीव समृद्ध राज्य में मानव और वन्य जीवन के बीच संतुलन कायम करने की कोशिश है, बल्कि यह एक अनूठा मॉडल भी बन सकता है जिसे देश के अन्य राज्यों में लागू किया जा सकता है जहाँ मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं।
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