छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर-बीजापुर सीमा पर बुधवार को हुई भारी मुठभेड़ में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है। अब तक की जानकारी के अनुसार, 26 से अधिक नक्सली मारे गए हैं और मुठभेड़ अभी भी जारी है, जिससे यह संख्या और बढ़ सकती है।
घटना स्थल: अबूझमाड़ का दुर्गम इलाका
यह मुठभेड़ अबूझमाड़ के घने जंगलों में हुई — जो नक्सलियों का दशकों से गुप्त ठिकाना रहा है और जहां बाहरी लोगों की पहुंच सीमित रही है। यह क्षेत्र लंबे समय से माओवादियों का “सुरक्षित गढ़” माना जाता था।
कैसे हुआ ऑपरेशन?
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सुरक्षा एजेंसियों को खुफिया जानकारी मिली कि बड़ी संख्या में नक्सली अबूझमाड़ क्षेत्र में एकत्र हुए हैं।
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इसके बाद डीआरजी नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंडागांव की संयुक्त टीम को इलाके में रवाना किया गया।
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तलाशी अभियान के दौरान मुठभेड़ शुरू हुई, जिसमें अत्यधिक घातक हथियारों से लैस नक्सलियों का सामना हुआ।
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सुरक्षाबलों ने बेहद सटीक रणनीति और समन्वय के साथ जवाबी कार्रवाई की।
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा का बयान:
“यह ऑपरेशन एक बहुत बड़ी सफलता है। अबूझमाड़ जैसे दुर्गम इलाके में 26 से अधिक नक्सलियों का मारा जाना इस बात का संकेत है कि हम नक्सल मुक्त भारत के लक्ष्य की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं।”
बड़ा क्या है इस मुठभेड़ में?
पहलू | विवरण |
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इलाका | अबूझमाड़ – नक्सलियों का दशक पुराना गढ़ |
सुरक्षा बल | D.R.G. (4 जिलों की टीम), STF, अन्य |
मारे गए नक्सली | 26+ (संख्या और बढ़ सकती है) |
रणनीति | खुफिया जानकारी के आधार पर संयुक्त ऑपरेशन |
महत्व | छत्तीसगढ़ में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाइयों में से एक |
नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक मोड़?
यह मुठभेड़ “ऑपरेशन नक्सल-मुक्त भारत” को निर्णायक बढ़त दिलाती है। पिछले एक वर्ष में केंद्र सरकार के नेतृत्व में:
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प्रवेश निषेध क्षेत्रों में अर्धसैनिक बलों की गहरी घुसपैठ हुई है।
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ड्रोन निगरानी, सैटेलाइट ट्रैकिंग, और AI आधारित खुफिया विश्लेषण जैसे तकनीकी टूल्स का उपयोग तेजी से बढ़ा है।
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स्थानीय युवाओं की भर्ती और पुनर्वास योजनाएं नक्सलियों के जनाधार को कमजोर कर रही हैं।
नक्सलवाद की गिरती पकड़
भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अनुसार:
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2010 में नक्सल हिंसा से प्रभावित जिले 223 थे, अब केवल 45 जिले ही इससे ग्रस्त हैं।
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पिछले 5 वर्षों में नक्सल हिंसा में 70% की कमी आई है।
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पूर्वी-मध्य भारत में नक्सल गतिविधियों में नाटकीय गिरावट दर्ज की गई है।अगला कदम क्या?
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इलाके की घेराबंदी और सघन तलाशी अभियान जारी रहेगा।
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मुठभेड़ के बाद अवैध हथियार, दस्तावेज़, और डिजिटल डिवाइसेज़ की जांच की जाएगी।
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गिरफ्तार नक्सलियों से पूछताछ के आधार पर नेटवर्क की गहराई तक छानबीन होगी।
अबूझमाड़ की यह मुठभेड़ एक बड़ा मनोवैज्ञानिक झटका है नक्सली नेटवर्क के लिए। यह दर्शाता है कि भारत अब नक्सलवाद को केवल सुरक्षा दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी स्तर पर भी घेर रहा है। नक्सल मुक्त भारत अब एक दूर का सपना नहीं, बल्कि सुनियोजित रणनीति और बलिदानों से साकार होती हकीकत बनता जा रहा है।