2024: बस्तर में नक्सल मोर्चे पर ऐतिहासिक सफलता
मुख्य उपलब्धियां:
- मारे गए नक्सली:
- इस वर्ष 217 नक्सलियों को ढेर किया गया, जो 2001-2023 की अधिकतम संख्या (134) से कहीं अधिक है।
- सबसे बड़ी मुठभेड़:
- नारायणपुर के अबूझमाड़ क्षेत्र में थुलथुली जंगलों में 38 नक्सलियों का खात्मा।
- आत्मसमर्पण:
- 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया।
- गिरफ्तारियां और जब्ती:
- 925 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया।
- 284 हथियार जब्त किए गए।
- जवानों की क्षति:
- केवल 19 जवान शहीद हुए, जो पिछले वर्षों की तुलना में सबसे कम है।
- नए कैंप:
- 2024 में 28 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए।
- अधिकांश कैंप नक्सल प्रभावित क्षेत्रों जैसे बीजापुर, सुकमा, और नारायणपुर (अबूझमाड़) में खोले गए।
- ड्रग्स के खिलाफ अभियान:
- ₹5.85 करोड़ का गांजा जब्त।
- 241 तस्करों की गिरफ्तारी।
अबूझमाड़: रणनीति का केंद्र
- अबूझमाड़, नक्सलियों की अघोषित राजधानी, पुलिस और अर्धसैनिक बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती।
- अब तक यहाँ बुनियादी सुविधाओं और जमीनी सर्वे की कमी रही।
- 2025 में फोकस:
- घेराबंदी: अबूझमाड़ के घने जंगलों को घेरना।
- सटीक सूचना पर कार्रवाई: बड़े नक्सली लीडरों जैसे गणपति, मोपल्ल राजू, और सोनू दादा पर हमला।
- 40 नए कैंप: जनवरी 2025 में 40 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए जाएंगे।
- केंद्रीय बलों की दो अतिरिक्त बटालियन की तैनाती।
नए वर्ष का ब्लू प्रिंट तैयार
उल्लेखनीय है कि नाराणपुर जिले के अबूझमाड़ का क्षेत्रफल साढ़े चार हजार वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है, यहां की भौगोलिक परिस्थितियां नक्सलियों के काफी अनुकूल है। यही कारण है कि अबूझमाड़ को नक्सलियों की अघोषित राजधानी माना जाता है। पुलिस अधिकारियाें का मानना है कि बस्तर संभाग में नक्सल आतंक से संपूर्ण शांति का मार्ग अबूझमाड़ से होकर ही निकलेगा, इसलिए अबूझमाड़ को नक्सल मुक्त करना जरूरी है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने इस बाबत अपनी रणनीति भी बदली है। नए वर्ष का ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया गया है, जिसमें नक्सलियों की अघोषित राजधानी अबूझमाड़ पर सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित होगा। बस्तर में मैदानी इलाके की घेराबंदी का काम 2024 में लगभग पूरा हो चुका है। अब वक्त अबूझमाड़ के घनघोर जंगलों को घेरने का है। अबूझमाड़ इस लिए भी अहम है क्योंकि यह नक्सलियों का सबसे सुरक्षित इलाका है। नक्सली इसे अपनी राजधानी बताते रहे हैं। आज तक माड़ का जमीनी सर्वे नहीं हुआ है। यहां के गांवों में आज तक मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंची हैं। बस्तर के बाकी इलाकों की तुलना में सबसे चुनौतीपूर्ण इलाका अबूझमाड़ ही है। फोर्स अगर 2025 में माड़ को फतह कर लेती है तो 70 प्रतिशत नक्सलियों का सफाया बस्तर से हो जाएगा।
सूत्राें के अनुसार यहां जनवरी में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के 40 नए सुरक्षा कैंप खोले जाएंगे। इसके लिए केंद्रीय अर्ध सैन्य बल की दो अतिरिक्त बटालियन भी मिलेंगी। सूत्र बताते हैं कि इसी महीने जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रायपुर में नक्सल ऑपरेशन से जुड़ी अहम बैठक ली तो उसमें तय किया गया कि जनवरी से ही पुलिस और अर्धसैनिक बल अबूझमाड़ को घेरना शुरू करेगी। अबूझमाड़ के इलाके में बड़े नक्सल कैडराें की मौजूदगी यहां अब भी हाेने की सूचना है, जिसे ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाया जा रहा है। साढ़े चार हजार वर्ग किमी के क्षेत्र में फैले अबूझमाड़ में दुर्दांत नक्सली अभी भी छिपे हुए हैं। बताया जाता है नक्सलियों के बड़े ट्रेनिंग कैंप अबूझमाड़ में ही ऑपरेट होते रहे हैं। गुरिल्ला वॉरफेयर की ट्रेनिंग यहीं पर नक्सलियों के नए लड़ाकों को दी जाती है। लगातार कमजोर होते नक्सली अब बस्तर में नए सिरे से भर्ती का प्रयास कर रहे हैं। थुलथुली मुठभेड़ में नीति के ढेर होने के बाद यहां पर सेंट्रल कमेटी के पूर्व सचिव गणपति, मोपल्ल राजू, बसव राजू और सेंट्रल कमेटी मेंबर सोनू दादा की मौजूदगी है। फोर्स को समय-समय पर इनकी मौजूदगी के इनपुट मिलते रहते हैं। अब सटीक सूचना के आधार पर इन बड़े लीडर पर प्रहार की योजना पर काम किया जा रहा है। 2024 में हुई मुठभेड़ में जहां नक्सलियों की सबसे खतरनाक कंपनी नंबर 1 और 2 का सफाया किया गया तो अब निशाने पर माड़ एरिया डिवीजन कमेटी के नक्सली हैं।