छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले से नक्सल उन्मूलन की दिशा में एक बड़ी और सकारात्मक खबर है। यहां के केरलापेंदा गांव को अब पूर्णतः नक्सलमुक्त घोषित किया गया है, क्योंकि इस गांव के 9 नक्सलियों सहित कुल 16 नक्सलियों ने पुलिस और सीआरपीएफ अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। यह राज्य सरकार, सुरक्षा बलों और स्थानीय प्रशासन के समन्वित प्रयासों का महत्वपूर्ण परिणाम है।
प्रमुख बिंदु इस घटनाक्रम के:
📍 16 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
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इनमें 1 महिला नक्सली भी शामिल है।
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सरेंडर करने वालों में से कई पर भारी इनाम घोषित था।
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रीता उर्फ डोडी सुक्की (36 वर्ष) — ₹8 लाख का इनाम
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राहुल पुनेम (18 वर्ष) — ₹8 लाख का इनाम
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लेकम लखमा (28 वर्ष) — ₹3 लाख का इनाम
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तीन अन्य पर — ₹2-2 लाख के इनाम
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📍 केरलापेंदा बना नक्सलमुक्त
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9 सरेंडर नक्सली इसी गांव से थे।
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अब यह पंचायत 100% नक्सल मुक्त हो चुकी है।
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इस पंचायत को राज्य सरकार की नई नीति के तहत ₹1 करोड़ की विकास राशि प्रदान की जाएगी।
📍 सरकार की ‘नियद नेल्लनार’ योजना का असर
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‘नियद नेल्लनार’ का अर्थ है — “आपका अच्छा गांव”।
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इसका उद्देश्य नक्सल मुक्त पंचायतों में विकास और विश्वास बहाली करना है।
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इस योजना से प्रेरित होकर ही नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया।
📍 बड़ेसट्टी के बाद दूसरी सफल पंचायत
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अप्रैल 2025 में बड़ेसट्टी पंचायत भी नक्सलमुक्त हुई थी।
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अब केरलापेंदा दूसरी पंचायत बनी जो इस बदलाव का हिस्सा बनी।
📍 पुनर्वास और सहायता
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हर सरेंडर करने वाले नक्सली को ₹50,000 की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
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उनका सामाजिक पुनर्वास और कौशल विकास भी सुनिश्चित किया जाएगा।
📍 बस्तर में अब तक कुल 792 नक्सली सरेंडर कर चुके
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यह आंकड़ा बस्तर क्षेत्र के सात जिलों को मिलाकर है।
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यह लगातार घटते नक्सल प्रभाव और बेहतर रणनीतिक प्रयासों का प्रमाण है।
यह घटनाक्रम सिर्फ सुरक्षा या नक्सलियों के आत्मसमर्पण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जनभागीदारी, विकास, और सामाजिक पुनर्वास की मिली-जुली रणनीति की सफलता है। यह आदिवासी क्षेत्रों में सरकार के प्रति विश्वास और विकास की एक मजबूत नींव भी बना रहा है। अगर यही रफ्तार बनी रही, तो आने वाले समय में पूरा बस्तर क्षेत्र स्थायी रूप से नक्सलमुक्त हो सकता है।