दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शिकायत पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को समन जारी किया. दरअसल, ईडी दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल से पूछताछ करना चाहती है, लेकिन वह समन का पालन नहीं कर रहे हैं. राउज़ एवेन्यू कोर्ट की अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट दिव्या मल्होत्रा ने सीएम केजरीवाल को समन जारी करते हुए 17 फरवरी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया.
3 फरवरी को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू ने ईडी की ओर से अदालत के समक्ष दलीलें दीं थी. अदालती आदेश के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि वे कोर्ट के ऑर्डर का अध्ययन कर रहे हैं और कानून के मुताबिक कदम उठाएंगे.
पांच समन पर भी पेश नहीं हुए केजरीवाल
ईडी ने 31 जनवरी को केजरीवाल को नया समन जारी किया था और उन्हें 2 फरवरी को केंद्रीय जांच एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा था. यह आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक को जारी किया गया पांचवां समन था. केजरीवाल शुक्रवार को पांचवें समन पर भी ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए. पिछले चार महीनों में चार बार तलब किए जाने के बावजूद समन को गैर कानूनी बताते हुए वह ईडी के सामने पेश नहीं हुए.
मामले में ईडी द्वारा दायर आरोपपत्र में केजरीवाल के नाम का कई बार उल्लेख किया गया है. एजेंसी ने कहा है कि आरोपी अब खत्म हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 की तैयारी के संबंध में उनके संपर्क में थे. इस मामले में ईडी द्वारा अब तक आप नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के साथ ही पार्टी के संचार प्रभारी विजय नायर तथा कुछ कारोबारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
ईडी ने आरोपपत्र में दावा किया था कि आप ने अपने गोवा चुनाव अभियान में लगभग 45 करोड़ रुपये की ‘अपराध से अर्जित आय’ का इस्तेमाल किया. माना जाता है कि एजेंसी मामले में एक नया पूरक आरोपपत्र दाखिल करेगी जिसमें आप को आबकारी नीति के माध्यम से प्राप्त कथित रिश्वत के ‘लाभार्थी’ के रूप में नामित किया जा सकता है.
आरोप है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए दिल्ली सरकार की 2021-22 की आबकारी नीति में कुछ शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाया गया, जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी थी. हालांकि, आम आदमी पार्टी आरोपों का बार-बार खंडन करती रही है. बाद में इस नीति को वापस ले लिया गया था और दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की सिफारिश की थी. इसके बाद ईडी ने धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया था.