राज्य के स्वदेशी लोगों की समस्याओं का स्थायी समाधान लाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में शनिवार को टिपरा मोथा, त्रिपुरा और भारत सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किया गया।
#WATCH दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा की मौजूदगी में भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार और स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर होना है। pic.twitter.com/ekqdZd3vUr
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 2, 2024
केंद्र, त्रिपुरा सरकार और टिपरा मोथा के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर के अवसर पर बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि आज का दिन त्रिपुरा के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है।
‘अधिकारों की सुरक्षा के लिए बनेगा तंत्र’
#WATCH केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ''आज त्रिपुरा के लिए ऐतिहासिक दिन है। आज इस समझौते के साथ हमने इतिहास का सम्मान किया है, गलतियों को सुधारा है और आज की वास्तविकता को स्वीकार करके भविष्य की ओर देखा है। इतिहास जो है उसे कोई नहीं बदल सकता, उसमें हुई गलतियों को सीखकर और आज… pic.twitter.com/TtjhpHg0oK
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर के साथ, सरकार ने इतिहास का सम्मान किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछली गलतियों को सुधारा है और उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ने के लिए वर्तमान वास्तविकता को स्वीकार किया है।
नई दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “मैं त्रिपुरा के सभी हितधारकों को आश्वस्त करता हूं कि अब आपको अपने अधिकारों के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा। भारत सरकार आपके अधिकारों की सुरक्षा के लिए तंत्र बनाने में दो कदम आगे रहेगी।”
गृह मंत्री ने कहा कि कोई भी इतिहास नहीं बदल सकता, लेकिन हर कोई अपनी पिछली गलतियों से सीख सकता है और आगे बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन, जिसे TIPRA Motha के नाम से जाना जाता है और त्रिपुरा में भाजपा सरकार ने भी इस समझौते के प्रति ईमानदारी से काम किया है।
लोकसभा चुनाव से पहले आखिरी समझौता
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के तहत, पूर्वोत्तर राज्यों में 11 शांति और सीमा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। उन्होंने कहा कि विद्रोही समूह नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (NLFT) के साथ शांति समझौते पर पहले हस्ताक्षर किए गए थे और लोकसभा चुनाव से पहले पूर्वोत्तर के लिए यह आखिरी समझौता होगा।