दिल्ली में सीएम आवास के रेनोवेशन पर हुए खर्च का मामला एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। दरअसल, दिल्ली सरकार सतर्कता विभाग ने एलजी को रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के रेनोवेशन में 45 करोड़ नहीं, बल्कि 52 करोड़ से अधिक रुपए खर्च हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने एलजी विनय सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें इस बात का जिक्र है। बताया जा रहा है कि लोक निर्माण विभाग के रिकॉर्ड के हवाले से सतर्कता अधिकारियों ने रिपोर्ट में कहा है कि घर के रिनोवेशन पर 33.49 करोड़ रुपये और मुख्यमंत्री के लिए एक कैंप कार्यालय पर 19.22 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इस रिपोर्ट पर दिल्ली सरकार विशेष सचिव सतर्कता वाईवीवीजे राजशेखर के हस्ताक्षर हैं। इस रिपोर्ट को उपराज्यपाल को 12 मई को सौंपा गया था।
रिपोर्ट में बताया गया है कि तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री ने मार्च 2020 में अतिरिक्त आवास व्यवस्था का प्रस्ताव दिया था। प्रस्ताव में एक ड्राइंग रूम, दो बैठक कक्ष और 24 लोगों की क्षमता वाला एक भोजन कक्ष शामिल है। इसके अलावा मौजूदा ढांचे में बदलाव कर ऊपर एक मंजिल बनाने का भी प्रस्ताव दिया था। सतर्कता विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक पीडब्ल्यूडी ने 6 फ्लैग स्टाफ रोड पर स्थित मौजूदा ढांचे को इस आधार पर गिराने का प्रस्ताव दिया था। पीडब्ल्यूडी ने बताया था कि सीएम आवास 1942-43 में बना पुराना ढांचा था और इसकी मियाद 1997 में पूरी हो चुकी है। पीडब्ल्यूडी ने सिफारिश की थी कि परिसर के भीतर अतिरिक्त निर्माण किया जा सकता है और मौजूदा बंगले को बैरिकेडिंग से अलग किया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निर्माण पूरा हो जाने पर मुख्यमंत्री और उनका परिवार नए बंगले में शिफ्ट हो सकता है और मौजूदा बंगले को गिराया जा सकता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री ने मार्च 2020 में अतिरिक्त आवास व्यवस्था का प्रस्ताव दिया था। प्रस्ताव में एक ड्राइंग रूम, दो बैठक कक्ष और 24 लोगों की क्षमता वाला एक भोजन कक्ष शामिल है। इसके अलावा मौजूदा ढांचे में बदलाव कर ऊपर एक मंजिल बनाने का भी प्रस्ताव दिया था। सतर्कता विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक पीडब्ल्यूडी ने 6 फ्लैग स्टाफ रोड पर स्थित मौजूदा ढांचे को इस आधार पर गिराने का प्रस्ताव दिया था। पीडब्ल्यूडी ने बताया था कि सीएम आवास 1942-43 में बना पुराना ढांचा था और इसकी मियाद 1997 में पूरी हो चुकी है। पीडब्ल्यूडी ने सिफारिश की थी कि परिसर के भीतर अतिरिक्त निर्माण किया जा सकता है और मौजूदा बंगले को बैरिकेडिंग से अलग किया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निर्माण पूरा हो जाने पर मुख्यमंत्री और उनका परिवार नए बंगले में शिफ्ट हो सकता है और मौजूदा बंगले को गिराया जा सकता है।