दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मिली जमानत के खिलाफ ईडी ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. केंद्रीय जांच एजेंसी के वकील हाईकोर्ट की अवकाश पीठ के समक्ष मामले का रखेंगे.
दिल्ली आबकारी नीति मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने के ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ ED ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है। ED इस मामले को तत्काल सुनवाई के लिए भेज सकता है। pic.twitter.com/tjOTJa0Iw2
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 21, 2024
कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को गुरुवार (20 जून, 2024) को ही दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बेल दी थी. इस दौरान विशेष न्यायाधीश न्याय बिंदु ने केजरीवाल के जमानत आदेश पर 48 घंटे के लिए रोक लगाने का ईडी के अनुरोध को खारिज कर दिया था. ऐसे में केजरीवाल को आज तिहाड़ जेल से रिहा किया जा सकता है.
किसने क्या दलील दी?
कोर्ट ने गुरुवार (20 जून, 2024) को दिन में ईडी और केजरीवाल की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. इस दौरान केंद्रीय जांच एजेंसी ने दिल्ली शराब नीति में हुई गड़बड़ी से कथित कमाई और अन्य आरोपियों के साथ केजरीवाल के संबंध स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन केजरीवाल के वकील ने इसके जवाब में कहा कि इनके पास सबूत नहीं हैं.
5 जून को खारिज कर दी गई थी अंतरिम जमानत याचिका
केजरीवाल ने हाल ही में राउज एवेन्यू कोर्ट में अंतरिम और नियमित जमानत के लिए दो याचिकाएं दाखिल की थीं. इसमें 5 जून को अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. गुरुवार को कोर्ट में ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि ईडी के पास प्रत्यक्ष सबूत हैं कि गोवा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के अभियान के लिए इस्तेमाल किए गए फंड हवाला के जरिए ट्रांसफर किए गए थे.
अरविंद केजरीवाल को कितने दिन बाद मिली जमानत?
ईडी ने अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. लोकसभा चुनाव में प्रचार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को दस मई को एक जून तक अंतरिम जमानत दी थी. केजरीवाल ने दो जून को तिहाड़ जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. इसके बाद से वो जेल में हैं.
केंद्रीय जांच एजेंसी ने केजरीवाल को गिरफ्तार करने के बाद दावा किया था कि दिल्ली शराब नीति को तैयार करने और लागू करने में गड़बड़ी हुई है.