दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली दंगों के दौरान एक मिठाई की दुकान में आगजनी, तोड़फोड़ और दुकान में मौजूद दिलबर नेगी की जलाकर मरने के मामले में 11 लोगों को आरोपमुक्त कर दिया. कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशन जज पुलस्त्य प्रमाचला ने अपने आदेश में कहा कि अलग-अलग समय में भीड़ में 11 आरोपियों की मौजूदगी और दंगे की अन्य घटनाओं में उनकी संलिप्तता, उन्हें उस घटना के लिए परोक्ष रूप से उत्तरदायी बनाने का आधार नहीं हो सकती, जिसके परिणामस्वरूप यह घटना हुई, जिसमें दिलबर नेगी की मौत हुई.
हालांकि, कोर्ट ने एक आरोपी मोहम्मद शाहनवाज़ के खिलाफ हत्या, दंगा और गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने के मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 148, 153 ए, 302, 436, 450, 149 और 188 के तहत आरोप तय किए.
कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों से पता चलता है कि शाहनवाज दंगाई भीड़ का हिस्सा था, जो हिंदू समुदायों के लोगों और उनकी संपत्तियों के खिलाफ कृत्यों में शामिल था, ताकि तोड़फोड़ की जा सके और उन्हें आग लगाई जा सके.
11 आरोपियों को बरी करते समय कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान पर गौर किया और पाया कि उनमें से सभी 22 साल के दिलबर नेगी की हत्या की कथित घटना से सीधे तौर पर संबंधित नहीं थे. कोर्ट ने कहा कि यहां यह बताना जरूरी है कि अलग-अलग समय के दंगों के वीडियो में कई आरोपियों की पहचान की गई थी.
लेकिन इन 2 चश्मदीदों में से किसी ने भी वीडियो के आधार पर उनकी पहचान नहीं की, जिससे यह कहा जा सके कि ये आरोपी गोदाम में आग लगने से ठीक पहले गोदाम में एंट्री करते वक्त शानू के साथ इसलिए, शानू उर्फ शाहनवाज को छोड़कर अन्य आरोपी इस मामले में आरोपमुक्त करने के हकदार हैं.
नेगी को जलाकर मारने का लगा था आरोप
ट्रायल के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश किए गए सार्वजनिक गवाहों ने अपने बयानों में कहा था कि एक दंगा हुआ, जहां दंगाइयों ने पथराव किया. हिंदू विरोधी नारे लगाए, कई दुकानों और घरों में तोड़फोड़ और आग लगा दी और एक इमारत में भी घुस गए और अपनी जान बचाने के लिए बिल्डिंग में छिपे नेगी को जलाकर मार डाला.
आपको बता दें कि मृतक दिलबर नेगी, अनिल स्वीट कॉर्नर में वेटर का काम करता था. घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ IPC धारा 147 (दंगा करने के लिए सजा), 148 (घातक हथियार से लैस दंगा), 149 (गैरकानूनी सभा), 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाने), 436 (आग से उत्पात) और 427 के तहत गोकलपुरी थाने में FIR दर्ज की थी.
बाद में मामला आगे की जांच के लिए दंगों की जांच के लिए बनी क्राईम ब्रांच की SIT को ट्रांसफर कर दिया गया था. इस मामले में 12 आरोपियों को अरेस्ट किया गया था. जांच के बाद दिल्ली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ 4 जून 2020 को चार्जशीट दाखिल की थी.