प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए तीसरी बार समन भेजा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, नए समन में उन्हें 3 जनवरी को पूछताछ के लिए पेश होना होगा. इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय की ओर से 2 बार समन भेजा जा चुका है, लेकिन वह पूछताछ के लिए जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए. उन्होंने आरोप लगाया कि समन राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के इशारे पर जारी किए गए हैं.
केजरीवाल को ईडी ने कल गुरुवार को आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन वह बुधवार को 10 दिवसीय विपश्यना ध्यान सत्र के लिए दिल्ली से बाहर चले गए. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बुधवार को ईडी को भेजे अपने जवाब में कहा कि एजेंसी की ओर से भेजे गए समन में यह साफ नहीं किया गया है, उन्हें मामले में ‘गवाह या संदिग्ध’ के तौर पर या एक दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री या फिर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में बुलाया गया है.
2 नवंबर को पहली बार जारी हुआ था समन
आम आदमी पार्टी के नेता ने जांच एजेंसी से कहा कि यह समन 18 दिसंबर को जारी किया गया जिसे निश्चित रूप से रद्द कर वापस लिया जाना चाहिए. अपने जवाब में केजरीवाल ने यह भी कहा, “आपके समन का समय और इसके पीछे की मंशा, मेरे इस विश्वास को मजबूत करते हैं कि यह समन किसी उद्देश्य या तर्कसंगत मानदंड पर आधारित नहीं हैं बल्कि ये राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के इशारे पर भेजा गया है. इसके जरिए केंद्र में सत्तारूढ़ दल के विरोध की आवाज को चुप कराना चाहते हैं.”
इससे पहले AAP नेता केजरीवाल को ईडी की ओर से 2 नवंबर को तलब किया गया था, लेकिन उन्होंने नोटिस को अवैध और राजनीति से प्रेरित करार दिया और पूछताछ में शामिल नहीं हुए थे.
अपना जीवन ईमानदारी से गुजाराः CM केजरीवाल
उन्होंने यह भी कहा कि वह एक निर्वाचित नेता और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के मौजूदा मुख्यमंत्री के रूप में एक संवेदनशील संवैधानिक पद पर हैं. मैंने अपना जीवन पारदर्शिता और ईमानदारी से गुजारा है और छिपाने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है. वह किसी भी कानूनी समन को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं.
समन का विरोध करते हुए दिल्ली की मंत्री और AAP नेता आतिशी ने कल गुरुवार को आरोप लगाया कि आबकारी नीति मामले में ईडी की जांच हमारी पार्टी की प्रगति और लोकप्रियता को रोकने की एक कोशिश है. आतिशी ने आरोप लगाते हुए कहा, “ईडी पिछले दो सालों से इस मामले की जांच कर रही है. देश के इतिहास में, किसी अन्य नीति की इतनी अधिक जांच नहीं की गई जितनी इस नीति की जांच एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा की जा रही है.”