दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 के फरवरी महीने में दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में हुए दंगों और हिंसा के मामले में दोषी पिता और पुत्र को सजा सुनाई है. कोर्ट ने कोर्ट ने आईपीसी की धारा-436 के तहत पिता मिठन सिंह को 3 साल की और बेटे जॉनी कुमार को 7 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. इन दोनों आरोपियों के खिलाफ खजूरी खास पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की थी. सजा सुनाते हुए कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि एक पिता का काम बेटे को सही रास्ता दिखाना होता है, लेकिन बेटे को सही रास्ता दिखाने के बजाय खुद भयावह काम किया.
कड़कड़डुमा कोर्ट के एडिशनल सेशन जज पुलस्त्य प्रमाचला की कोर्ट ने मिठन सिंह और उसके बेटे जॉनी कुमार को मामले में शुक्रवार को सजा सुनाई. कोर्ट ने IPC की धारा-436 के तहत दोषी जॉनी कुमार को 7 साल सश्रम कारावास और दोषी मिठन सिंह को 3 साल साधारण कैद की सजा सुनाई, कोर्ट ने जॉनी पर 25000 और मिठन सिंह पर 50000 हजार का जुर्माना भी लगाया है.
कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहा कि सांप्रदायिक दंगे लोक अव्यवस्था का सबसे हिंसक प्रारूप है जो समाज को प्रभावित करता है. कोर्ट ने कहा सांप्रदायिक दंगा वह खतरा है, जो हमारे देश के नागरिकों के बीच भाईचारे की भावना के लिए एक गंभीर खतरा हैय सांप्रदायिक दंगों से न सिर्फ जीवन और संपत्ति का नुकसान होता है बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी बहुत नुकसान होता है.