दिल्ली हाई कोर्ट ने शनिवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल और फेसबुक और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को 28 मार्च को अदालती कार्यवाही के वीडियो पोस्ट या रीपोस्ट हटाने को लेकर नोटिस जारी किया है. अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई की याचिका पर सुनवाई के दौरान ये आदेश दिया. ये मामला तब का है जब सीएम केजरीवाल कथित शराब नीति घोटाले में गिरफ्तारी के बाद पुलिस हिरासत में थे.
Delhi HC directs removal of Arvind Kejriwal's court video from social media
Read @ANI Story | https://t.co/CRukah4f1B#ArvindKejriwal #DelhiHC pic.twitter.com/tR5limWwgm
— ANI Digital (@ani_digital) June 15, 2024
याचिका में तर्क दिया गया कि सुनीता केजरीवाल और कुछ विपक्षी दलों के सोशल मीडिया हैंडल ने अदालती कार्यवाही के वीडियो की कॉपियां बनाकर इसे ऑनलाइन पोस्ट किया. उस वीडियो में सीएम केजरीवाल अदालत के सामने अपना पक्ष रख रहे थे. उस दौरान उन्होंने ईडी पर उनकी पार्टी को “कुचलने” की कोशिश करने का आरोप लगाया था. सीएम केजरीवाल ने अदालत से पूछा, “मुझे गिरफ्तार किया गया था, लेकिन किसी भी कोर्ट ने मुझे दोषी साबित नहीं किया. CBIया केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 31,000 पेज की चार्जशीट के दायर की. ईडी ने 25,000 की चार्जशीट दाखिल की. यहां तक कि अगर आप उन्हें एक साथ पढ़ते हैं तो भी सवाल बना रहता है, मुझे गिरफ्तार क्यों किया गया.
सीएम केजरीवाल के उस वीडियो में क्या है?
इस दौरान सीएम केजरीवाल ने सरकारी गवाह बने आरोपियों का भी हवाला दिया, जिससे पता चलता है कि उन पर आरोप लगाने के लिए उनको मजबूर किया गया था. उन्होंने आरोप लगाया, ”ईडी का सिर्फ एक ही मिशन था – मुझे फंसाना”, ”तीन बयान (एक गवाह द्वारा) दिए गए… लेकिन कोर्ट ने सिर्फ उन लोगों को देखा, जिन्होंने मुझ पर आरोप लगाया, क्यों? यह सही नहीं है.”
ये मामला तब का है जब सीएम केजरीवाल कथित शराब नीति घोटाले में गिरफ्तारी के बाद पुलिस हिरासत में थे. याचिका में तर्क दिया गया कि सुनीता केजरीवाल और कुछ विपक्षी दलों के सोशल मीडिया हैंडल ने अदालती कार्यवाही के वीडियो की कॉपियां बनाकर इसे ऑनलाइन पोस्ट किया. उस वीडियो में सीएम केजरीवाल अदालत के सामने अपना पक्ष रख रहे थे. उस दौरान उन्होंने ईडी पर उनकी पार्टी को “कुचलने” की कोशिश करने का आरोप लगाया था.
अदालती कार्रवाई की रिकॉर्डिंग वाले वीडियो पर सख्ती
दिल्ली के एक वकील वैभव सिंह ने इस मामले में याचिका दायर की थी. उन्होंने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठन और अदालती कार्रवाई की रिकॉर्डिंग करने वालों और उसे सोशल मीडिया पर फैलाने वालों के खिलाफ FIR दर्ज करने की अपील की थी. याचिका में कहा गया था कि इस तरह के कदम से ट्रायल कोर्ट के जजों की जान को खतरा हो सकता है. उनकी याचिका में सुनीता केजरीवाल के साथ अक्षय मल्होत्रा, सोशल मीडिया यूजर नागरिक-इंडिया जीतेगा, प्रोमिला गुप्ता, विनीता जैन और डॉ. अरुणेश कुमार यादव पर भी कार्रवाई की मांग की गई है.
सुनीता केजरीवाल पर कोर्ट का नोटिस
याचिका में कहा गया है कि इन्होंने जानबूझकर हाई कोर्ट द्वारा तय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के नियमों का उल्लंघन किया है. उसमें कहा गया है कि “आम आदमी पार्टी और दूसरी विपक्षी पार्टियों के कई सदस्यों ने अदालत की कार्यवाही को प्रभावित करने के मकसद से जानबूझकर उसकी वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग की.” साथ ही आरोप ये भी है कि सीएम अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के सदस्यों ने पूर्व नियोजित साजिश के तहत अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग की और उसे सोशल मीडिया पर शेयर किया. इसकी गहन जांच की जरूरत है, ताकि अनाधिकार रिकॉर्डिंग करने के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उन्हें सजा दी जा सके.
इसमें दोषियों के खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा चलाने की भी अपील की गई है. साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को इस तरह की अनाधिकार रिकॉर्डिंग और उसका प्रसार रोकने का निर्देश देने की भी मांग की गई है.