आज नई दिल्ली स्थित तमिलनाडु भवन के सामने सैकड़ों संतों की उपस्थिति में सनातनियों ने सनातन विरोधियों के पुतलों का दहन कर सनातन धर्म के विरुद्ध की गयी उनकी टिप्पणियों को खारिज किया।
आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर श्री स्वामी बालकानंद गिरी जी महाराज एवं स्वामी राघवानन्द जी महाराज, संस्थापक एवं मार्गदर्शक, दिल्ली संत महामण्डल ने उपस्थित संतों एवं सनातनी बन्धुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि सभी राजनीतिक नेता अपने स्वार्थ के लिए किसी भी धर्म के खिलाफ बोलना बंद करें और इसलिए हमारा कहना है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्वयं इसके लिए माफी मांगें और जो भी इस प्रकार के दोषी व्यक्ति हैं उनको दंड दें । अन्य भी राज्य सरकारों के जो प्रमुख हैं या राजनैतिक दलों के प्रमुख हैं वे इस प्रकार के अशोभनीय बात करने वालों को अपने दल से निष्कासित करें।
श्री दूधेश्वर मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंचदशनाम जूना अखाडा के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि बड़े आश्चर्य का विषय है सरकारें अब तक इस पर मौन क्यों हैं? ऐसे व्यक्ति को अविलंब गिरफ्तार करना चाहिए, लेकिन इनकी चुप्पी विषादपूर्ण वातावरण का निर्माण कर रही है। सनातन समाज के साथ सरकार ऐसा सौतेला व्यवहार करने का कारण बताएं।
महंत नारायण गिरी ने बताया कि सनातन विरोधियों के भड़काऊ बयानों को सर्वोच्च न्यायालय ने भी गंभीरता से लिया है और ऐसे लोगों को नोटिस भी दिया है। हम मानते हैं कि गाली – गलोच की भाषा से लोकतंत्र का अपमान होता है। हम यह भी मानते हैं कि यह भाषा लोगों को संविधान में दिए गए धार्मिक अधिकारों के पालन का विरोध करती है और संप्रदायों में वैमनस्य पैदा करती है। हम आशा करेंगे कि सर्वोच्च न्यायालय इस बारे में पूरा विचार करके इन लोगों के खिलाफ सख्त कर्रवाई करने का आदेश देगा।
विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने कहा कि लोकतंत्र में भाषा की शालीनता जरूरी है। स्टालिन, प्रियांक खड़गे एवं डी राजा तर्क नहीं दे रहे – गालियां तक दे रहे हैं। धमकी दे रहे हैं कि वे केवल विरोध नहीं करेंगे, अपितु सनातन को समाप्त करेंगे। यह उनका अभिमान व हताशा है। सनातन को मुगलों का अत्याचार और अंग्रेजों की चतुराई भी नहीं समाप्त कर सकी तो अब ये छोटे नेता क्या कर लेंगे।
महामंडलेश्वर नवल किशोर दास महाराज ने इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि आज की यह भीड़ बता रही है कि सनातन का विरोध करने वालों के दिन अब जाने वाले हैं। सनातन विश्व के प्रत्येक व्यक्ति को अपने परिवार का ही सदस्य मानता है और सबके प्रति दयाभाव रखता है, मगर इसका मतलब यह नहीं कि कोई कुछ भी बोलता रहेगा और सनातन धर्म को मानने वाले चुप बैठे रहेंगे। उन्होंने कहा कि संत समाज इस विषय को तमिलनाडु में भी उठाएगा। तमिलनाडु के राज्यपाल से भी मिला जाएगा और उन्हें संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने के लिए भी कहेंगे।