मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा सिंगल-यूज प्लास्टिक पर सख्त कार्रवाई और सफाई व्यवस्था को लेकर लिए गए निर्णय बेहद सराहनीय और दूरदर्शी कदम हैं। इस प्रकार की पहलें न केवल दिल्ली को स्वच्छ और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार शहर बनाएंगी, बल्कि नागरिकों को भी सतत जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करेंगी।
मुख्य बिंदु संक्षेप में:
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सिंगल-यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध:
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स्कूलों, धार्मिक स्थलों और बाजारों में पूरी तरह बैन।
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उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी।
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सफाई व्यवस्था में सुधार:
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सार्वजनिक स्थलों की दिन में दो बार सफाई।
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लक्ष्य: एक सुंदर, स्वच्छ और विकसित दिल्ली।
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श्रमिकों के लिए कल्याणकारी कदम:
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श्रमिकों और उनके परिवारों की वार्षिक स्वास्थ्य जांच।
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दोपहर 3 बजे तक विश्राम का अधिकार, अधिसूचना जल्द।
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सिंगल-यूज प्लास्टिक का पर्यावरणीय खतरा:
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ये प्लास्टिक जल, थल और जीवों के लिए नुकसानदायक होते हैं।
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समाधान: बायोडिग्रेडेबल और पुन: उपयोग योग्य विकल्पों को अपनाना।
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श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य जांच की सुविधा
इससे पहले मुख्यमंत्री ने गुरुवार को श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों की सालाना स्वास्थ्य जांच कराए जाने का ऐलान किया। वहीं, उनके लिए दोपहर से अपराह्न 3.0 बजे तक का समय आराम करने के लिए तय करने के संबंध में अधिसूचना जारी करेगी। ‘अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस’ पर श्रमिकों को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार आजीविका के लिए दिल्ली आने वाले लोगों के बेहतर जीवन और बेहतर स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुनिश्चित करने को लेकर प्रतिबद्ध है।
क्या होता है सिंगल-यूज प्लास्टिक?
सिंगल-यूज प्लास्टिक वैसा प्लास्टिक होता है जिसे एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है, जो दोबारा इस्तेमाल के लिए नहीं होता है। इन प्लास्टिक वस्तुओं को आमतौर पर सुविधाजनक और तात्कालिक इस्तेमाल के लिए डिजाइन किया जाता है। यह प्लास्टिक पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है, क्योंकि यह लंबे समय तक विघटित नहीं होता। ऐसे प्लास्टिक समुद्रों, नदियों और भूमि में जमा होकर पॉल्यूशन को बढ़ाता है, इसलिए सिंगल-यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करना चाहिए। सरकार और विभिन्न संस्थानों द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए वैकल्पिक समाधान जैसे- बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक और री-यूजेबल सामग्रियों का इस्तेमाल बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।