देश के नौनिहालों का भविष्य सँवारने के लिए केंद्र की मोदी सरकार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लेकर आई है। भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में आने वाले बड़े बदलाव पर और केंद्र सरकार की सोच पर केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपनी राय जाहिर की।
आजतक के ‘एजेंडा आजतक’ कार्यक्रम के सेशन ‘भारतीयता का पाठ’ की शुरुआत पर केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि पीएम मोदी ने ‘अमृत काल’ में आह्वान किया है कि वो 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाकर रहेंगे।
उन्होंने आगे कहा, “हमारे सामने और कोई विकल्प नहीं है। यह महज अकेले भारत की जरूरत नहीं है बल्कि यह दुनिया की जरूरत है कि भारत जैसी एक संतुलित सभ्यता, दुनिया के विकास का केंद्र बिंदु बने।”
केंद्रीय मंत्री प्रधान ने आगे कहा, “इसके लिए हमें विकसित, आत्मनिर्भर और स्वावलंबी होना पड़ेगा तब जाकर दुनिया में सही संतुलन रहेगा ये भारत की सभ्यता की सीख है। ये तभी संभव होगा जब सभी रचनाओं के केंद्र में सही शिक्षा होगी।”
उन्होंने कहा, “शिक्षा सही होगी, शिक्षा की उपज सही निकलेगी और दिशा सही होगी तो जिस अपेक्षित समाज और विकसित देश की हम कल्पना कर रहे हैं हम उसी दिशा में जा सकेंगे।” उन्होंने कहा कि इस दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत अब 10+2+3 को हम 5+3+3+4 में बदला है।
उन्होंने कहा कि 34 साल बाद भारत में शिक्षा का रूप बदलने की कोशिश की गई है। इसके लिए पीएम मोदी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लाए जिसमें संविधान सभा की तर्ज पर बहुत बड़े विमर्श के बाद सभी अनुभव को समेटते हुए एक मसौदा पेश किया गया। इसके कई रूप हैं जिससे हमें कई उपलब्धियाँ हासिल होंगी।
उन्होंने आगे कहा पहले पढ़ाई पहली कक्षा से शुरू होती थी। इसमें 1 से 12वीं कक्षा तक की व्यवस्था थी। ये 12 साल की व्यवस्था थी। इसे अब हमने बदलकर 15 साल (5+3+3+4) किया है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि बच्चे का तीन से आठ साल की उम्र में 85 फीसदी मानसिक विकास हो जाता है। इस हिसाब देश की शिक्षा में नई चीजों को व्यवस्थित तरीके से सिखाने की प्रक्रिया को तीन साल की उम्र से शुरू किया गया है।
नई शिक्षा नीति 2020
आप भी इस नई शिक्षा नीति के इस 15 साल के (5+3+3+4) फॉर्मेट को जानना चाहते हैं और ये जानना चाहते है इससे छात्रों, उनके अभिभावकों और परिवार की जिंदगी में क्या बदलाव आएगा तो उसे यहाँ समझे…।
करीब दो लाख लोगों के सुझाव लेने के बाद नई शिक्षा नीति 2020 तैयार की गई। इसके बाद ही पीएम मोदी की सरकार ने इस पर मोहर लगाई और तीन साल पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसका ऐलान किया। नई शिक्षा नीति 2020 की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया। इस नीति से देश में स्कूली और उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों की अपेक्षा की गई है। नई शिक्षा नीति 2020 अंतरिक्ष वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।
दरअसल पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 की जगह नई शिक्षा नीति लाई गई है। शिक्षा नीति 1986 में साल 1992 में संशोधन किया गया था।
इस नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों के तहत साल 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% GER यानी सकल नामांकन अनुपात के साथ-साथ पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा को सरल साधारण और सामान्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
इतना ही नहीं नई शिक्षा नीति के तहत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी के 6 फीसदी हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत स्कूली शिक्षा में 5 + 3 + 3 + 4 डिज़ाइन वाले शैक्षिक संरचना का प्रस्ताव किया गया।
5+3+3+4 फार्मेट क्या है
इस 5 + 3 + 3 + 4 डिज़ाइन वाले शैक्षणिक फॉर्मेट में 3 से 18 साल की उम्र के बच्चों और किशोरों को शामिल किया गया है। इस फॉर्मेट में 5+ से मतलब 5 साल तक पढ़ाई फाउंडेशनल स्टेज में कराए जाने से है। इस स्टेज में प्री प्राईमरी के तीन साल और पहली और दूसरी कक्षा की पढ़ाई शामिल है।
3 साल की उम्र से छात्र बाल वाटिका या प्री-स्कूल में रहेंगे। इसके तहत बच्चों को बगैर किसी किताबी ज्ञान के खिलौनों, कहानियों, मैजिक, गीत, डांस से शिक्षा दी जाएगी।
इसके बाद प्राथमिक स्कूल में कक्षा 1 और 2 की पढ़ाई होगी। इसका पाठ्यक्रम NCERT ने तैयार किया है। इससे बच्चों की शिक्षा की नींव को मजबूती मिलेगी। इसे लेकर शिक्षा मंत्री प्रधान का कहना है कि बच्चों के प्ले स्कूलों को फॉर्मल रूप देना बाकी है।
इस वजह से राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिश पर NCF बनी और उनका लर्निंग और टीचिंग लर्निंग मैटेरियल भी आ गया है, जिसे जादुई पिटारा नाम दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में गणित और भाषा से बच्चों का परिचय खेल-खेल में शुरू करवाया जाएगा।
उनका कहना है कि इससे बच्चों में क्रिटिकल थिंकिंग यानी आलोचनात्मक सोच और समस्या का समाधान करने की सोच को विकसित होने में मदद मिलेगी। देशभर में इसे लागू करना शुरू कर दिया गया है। आने वाले 3-4 सालों में फायदा देखने को मिलेगा।
इसके बाद की +3 स्टेज में बच्चा कक्षा 3 से लेकर कक्षा 5 की पढ़ाई करेगा और उसके बाद की दूसरी +3 स्टेज में कक्षा 6 से लेकर 8वीं तक की पढ़ाई करेगा। इसके बाद बच्चा +4 स्टेज में 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं तक की पढ़ाई करेगा। इस स्टेज में दो बार बोर्ड परीक्षा होगी।
दरअसल NEP-2020 में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृ भाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को पढ़ाई के लिए अपनाने पर बल दिया गया है। इसके साथ ही इस नीति में मातृ भाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिए प्राथमिकता देने का सुझाव भी दिया गया है।
स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिए संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा, लेकिन किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी।